स्कूल-ड्रॉपर से लेकर 20 ग्रैंड स्लैम चैंपियन तक का सफर: पिता ने 2 साल की मोहलत दी थी, इतने में वर्ल्ड नंबर-1 बन गए थे रोजर फेडरर
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एक घंटा पहले
लेवर कप फेडरर के करियर का आखिरी टूर्नामेंट होगा। जो लंदन में 23 से 25 सितंबर के बीच खेला जाएगा।
टेनिस ‘बिग-3’ में से एक रोजर फेडरर ने गुरुवार को रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया। वे 23 से 25 सितंबर के बीच लंदन में अपने करियर का आखिरी टूर्नामेंट (लेवर कप) खेलेंगे।
41 साल के स्विस स्टार के संन्यास के ऐलान के बाद हम आपको बता रहे हैं उनके स्कूल-ड्रॉपर से 20 ग्रैंड स्लैम चैंपियन बनने की कहानी।
बसेल शहर में 8 अगस्त 1981 को जन्मे रोजर 1992-93 में अपने शहर में आयोजित स्विस इंडोर टूर्नामेंट में बॉल उठाते (बॉल ब्वॉय) थे। 1996 में उन्होंने जूनियर लेवल पर अपना पहला टूर्नामेंट खेला। तब वे 14 साल के थे।
2 साल बाद 16 साल के फेडरर ने अपने पिता से पढ़ाई छोड़ने की बात कही, क्योंकि वे पढ़ाई के कारण अपने खेल पर ध्यान नहीं दे पा रहे थे। इस पर उनके पिता रॉबर्ट फेडरर ने उन्हें 2 साल की मोहलत देते हुए कहा था कि सफल नहीं हुए तो टेनिस छोड़कर स्कूल जाना पड़ेगा। फेडरर दोबार स्कूल नहीं जाना चाहते थे। इसलिए वे इन दो साल में जूनियर के वर्ल्ड नंबर-1 टेनिस खिलाड़ी बन गए थे। फेडरर ने साल 1998 में जूनियर खिलाड़ी के तौर पर विंबलडन खेलना शुरू कर दिया था। इसी साल वे यूएस ओपन की जूनियर कैटेगरी के फाइनल में भी पहुंचे थे।
(यह खुलासा फेडरर ने एक इंटरव्यू में किया था।)
फेडरर ने कहा था- ‘जब मैं 16 साल का था। तब मैंने पेरेंट्स से कहा था कि यदि मैं स्कूल छोड़ता हूं तो अपने खेल टेनिस पर 100% ध्यान दे पाऊंगा। तब मेरे पिता ने मुझे सफलता के लिए 2 साल का वक्त दिया था। यदि मैं इस दौरान फेल होता या प्रोफेशनल खिलाड़ी नहीं बन पाता तो टेनिस छोड़कर स्कूल जाना पड़ता। मैंने उनसे कहा कि मुझ पर विश्वास करें। मैं दो साल के अंदर ही जूनियर में वर्ल्ड नंबर-1 बन गया था।’
फुटबॉल, बैडमिंटन और बास्केटबॉल भी खेले
फेडरर ने बचपन के दिनों में बसेल एफसी और स्विट्जरलैंड की नेशनल फुटबॉल टीम का प्रतिनिधित्व किया है। बचपन में बैडमिंटन और बास्केटबॉल भी खेला है।
स्विस स्टार ने कहा था- पेरेंट्स को मेरी योग्यता पर विश्वास नहीं था
स्विस प्लेयर ने कहा- ‘मेरे पेरेंट्स हर साल मेरी टेनिस ट्रेनिंग पर लगभग 30 हजार स्विस फ्रेंक (करीब 24 लाख रुपए) खर्च करते थे। हालांकि पेरेंट्स को मेरी योग्यता पर विश्वास नहीं था। उन्हें लगता था कि मेरा प्रोफेशनल टेनिस खिलाड़ी बनना मुश्किल है।’
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