भारत की हार, IPL कितना जिम्मेदार: 7 बार IPL फाइनल के महीने भर के अंदर ICC इवेंट में उतरे, सिर्फ 1 बार चैंपियन बने

स्पोर्ट्स डेस्क34 मिनट पहले

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टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल मुकाबले में 209 रनों की करारी हार झेलनी पड़ी है। द ओवल के मैदान पर भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया ने हराया।

क्रिकेट पंडित इस हार का ठीकरा इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के सिर फोड़ रहे हैं। ऐसे में हमने जानने की कोशिश कि WTC फाइनल में भारत की हार के लिए IPL कितना जिम्मेदार है। इसके लिए हमने IPL आने के बाद के 15 साल (2008 से 2023 तक) और IPL से पहले के 15 साल (1992 से 2008 तक) के बीच भारतीय टीम के प्रदर्शन का विश्लेषण किया। हमने यह भी जाना कि IPL का तीनों फॉर्मेंट में भारतीय टीम के परफॉर्मेंस पर क्या असर पड़ा…?

ट्रॉफी के नंबर बराबर, मैच विनिंग और स्कोरिंग रेट IPL के बाद बढ़ा
IPL से पहले और बाद के 15 साल के पीरियड में ICC टूर्नामेंट जीतने के मामले में भारतीय टीम का प्रदर्शन एक जैसा रहा है। टीम इंडिया ने लीग से पहले और बाद इस टाइम पीरियड में दो-दो ICC ट्रॉफियां जीती हैं। अंतर इतना है कि भारतीय टीम ने लीग से 15 साल पहले 11 टूर्नामेंट खेले हैं। वहीं लीग के आने के बाद से अब तक टीम ने 15 ICC टूर्नामेंट में हिस्सा लिया। लीग से पहले भारत ने चार दफा खिताबी मुकाबले में प्रवेश किया है, जबकि लीग के बाद टीम 6 बार ICC टूर्नामेंट के फाइनल तक पहुंच सकी है।

ये रकॉर्ड इसी ओर संकेत करते हैं कि IPL का भारतीय टीम के प्रदर्शन पर निगेटिव असर नहीं पड़ा है। फिर भी इस बार IPL की इतनी ज्यादा आलोचना क्यों हो रही है? आगे जानते हैं…

  1. तैयारी का टाइम नहीं मिला भारतीय लीग को विलेन बताने वाले पंडितों का तर्क है कि IPL के कारण भारतीय खिलाड़ियों को WTC फाइनल की तैयारियों का टाइम नहीं मिला और टीम बिना प्रैक्टिस मैच के उतर गई। 29 मई को इंडियन प्रीमियर लीग का फाइनल खेला गया। इस मुकाबले के बाद भारतीय टीम का आखिरी जत्था इंग्लैंड के लिए रवाना हुआ। मैच के बाद भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने भी कहा कि उन्हें तैयारी के लिए बहुत कम टाइम मिला। इतने बड़े मैच से पहले उन्हें 20-25 दिन की प्रैक्टिस करना चाहिए।
  2. खिलाड़ी खराब शॉट पर आउट रहाणे, कोहली, रोहित और गिल सहित कई खिलाड़ी गलत शॉर्ट पर आउट हुए। दूसरी पारी में कोहली और रहाणे के विकेटों पर गौर करें तो ये दोनों बाहर जाती छठे स्टंप की बॉल को खेलने के प्रयास में आउट हुए हैं, जबकि टेस्ट क्रिकेट ऐसी बॉल को छोड़ा जाता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि भारतीय बल्लेबाजों ने मैच से पहले प्रैक्टिस की होती, तो ऐसे गलत शॉर्ट खेलकर आउट न होते। इस तरह के शॉट ज्यादा टी-20 खास कर IPL की देन हैं।
  3. केएल राहुल चोटिल हुए तो भरत को खिलाना पड़ा IPL के पिछले सीजन में भारतीय विकेटकीपर बल्लेबाज केएल राहुल चोटिल हो गए और उन्हें WTC फाइनल से भी बाहर होना पड़ा। राहुल कार हादसे से बाहर चल रहे ऋषभ पंत का इकलौता विकल्प थे। राहुल के चोटिल होने के बाद केएस भरत को मौका दिया गया। यदि राहुल मौजूद होते तो टीम इंडिया की बैटिंग लाइन को और मजबूती देते।

टाइम कम होने का पॉइंट कितना वैलिड
अब तक 7 बार टीम इंडिया IPL खत्म होने के 1 महीने के अंदर कोई ICC टूर्नामेंट खेलने उतरी है। 6 में गैप 4 से 13 दिन का ही रहा, वहीं वनडे वर्ल्ड कप 2019 के दौरान टीम को तैयारियों के लिए 23 दिन का समय मिला था।

जिन 6 टूर्नामेंट में भारत को IPL के बाद सिर्फ 4 से 13 दिन का समय मिला उनमें 2013 और 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी भी शामिल है। 2013 में भारत चैंपियन बना था वहीं, 2017 में फाइनल में हारा था। इनमें तीन टी-20 वर्ल्ड कप (2009, 2010 और 2021) भी शामिल हैं। भारत इन तीनों के सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सका।.

PL आने के बाद तीनों फॉर्मेट में भारत के खेल में क्या बदलाव आया…

वनडे में स्कोरिंग रेट तेज हुआ
18 अप्रैल 2008 से भारत में फ्रेंचाइजी क्रिकेट टूर्नामेंट IPL शुरू हुआ। 20-20 ओवर के इस फॉर्मेट के आने से टीम इंडिया का स्कोरिंग रेट तेज हुआ। 1992 से 2007 तक भारत वनडे में 4.96 के रन रेट से स्कोर रहा था, वहीं 2008 के बाद से टीम 5.68 रन प्रति ओवर के हिसाब से स्कोर करने लगी।

वनडे में टीम करीब 49% मैच ही जीत पाती थी, लेकिन IPL के बाद भारत ने करीब 62% मुकाबले जीते। टीम को 2008 के बाद 32% मैचों में ही हार मिली। उससे पहले के 16 सालों में ये आंकड़ा करीब 46% पर था। टीम इंडिया ने इस दौरान करीब 100 मैच कम खेले, लेकिन टीम का विनिंग रेट पहले के मुकाबले IPL के बाद तेजी से बढ़ा।

टेस्ट में ज्यादा मैच जीतने लगे
टेस्ट में टीम के ज्यादातर मैच पहले ड्रॉ होते थे और टीम का जीत परसेंट भी कम था। IPL आने के बाद ड्रॉ मैचों की संख्या भी कम हुई और भारत अब 50% से ज्यादा टेस्ट जीतने लगा है। 1992 से 2007 तक टीम इंडिया करीब 35% मैच ही जीत पाती थी, इस दौरान टीम ने करीब 39% ड्रॉ मुकाबले भी खेले। जबकि IPL के बाद टीम के महज 21% मैच ही ड्रॉ रहे।

इतना ही नहीं टीम इंडिया में इस वक्त मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी, जसप्रीत बुमराह, शार्दूल ठाकुर, थंगारसु नटराजन, प्रसिद्ध कृष्णा और उमरान मलिक जैसे पेसर्स के ऑप्शन हैं, जो लगातार 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदें फेंक रहे हैं। इनकी ही बदौलत टीम इंडिया ने विदेश में इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका को टेस्ट हराए और लगातार दूसरी बार WTC फाइनल में जगह बनाई।

टी-20 और IPL एक ही साथ आए
भारत के लिए IPL और टी-20 क्रिकेट लगभग एक ही साथ आए, ऐसे में दोनों का ग्रोथ भी एक जैसा ही हुआ। भारत ने टी-20 फॉर्मेट में अपनी पहली ट्रॉफी 2007 में IPL के पहले जीती थी, लेकिन IPL के बाद टीम इंडिया में कई टैलेंटेड प्लेयर्स ने जगह बनाई। लिमिटेड ओवर्स टीम के उप कप्तान हार्दिक पंड्या उन्हीं में से एक हैं।

इनके अलावा वरुण चक्रवर्ती, बुमराह, सूर्यकुमार यादव, क्रुणाल पंड्या, राहुल चाहर, अर्शदीप सिंह, दीपक हुड्डा जैसे कई टैलेंटेड प्लेयर्स ने IPL में अच्छा करने के बाद टीम इंडिया में जगह बनाई। सूर्या तो पिछले 2 सालों में टी-20 बैटर्स रैंकिंग में नंबर-1 प्लेयर भी हैं।

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