बेटी का अंतिम संस्कार करके लगाई सेंचुरी: रणजी ट्रॉफी में विष्णाु सोलंकी ने मासूम की मौत का दर्द भूल खेला क्रिकेट, विरोधी भी मुरीद
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एक मिनट पहले
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रणजी ट्रॉफी में बड़ौदा के लिए खेलने वाले विष्णु सोलंकी ने एक अनोखी मिशाल पेश की है। विष्णु सोलंकी कुछ दिन पहले ही पिता बने थे। लेकिन खराब सेहत से जुड़े वजहों की वजह से उनकी बेटी का निधन हो गया। बेटी के निधन ने विष्णु को झकझोर दिया था, लेकिन वे अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर मैदान पर उतरे और रणजी ट्रॉफी (Ranji Trophy) में चंडीगढ़ के खिलाफ मुकाबले में शतक जड़ा है।
चंडीगढ़ के खिलाफ शतक जड़ा है। शतक लगाने के बाद हर कोई विष्णु को सलाम कर रहा है। इस खिलाड़ी की नवजात बच्ची खराब सेहत के कारण इस दुनिया को छोड़ कर चली गई। बेटी के निधन ने विष्णु को झकझोर दिया था, लेकिन वे अपनी बेटी का अंतिम संस्कार कर मैदान पर उतरे और अपनी टीम के लिए शतक लगा दिया।
चंडीगढ़ के खिलाफ विष्णु ने 12 चौकों की मदद से 104 रन बनाए। बड़ौदा क्रिकेट एसोसिएशन ने उन्हें रियल हीरो बताया है। उनकी इस दिलेरी वाली पारी को देखकर हर कोई सलाम कर रहा है। वहीं, सौराष्ट्र के लिए रणजी ट्रॉफी खेल रहे बल्लेबाज शेल्डन जैक्सन ने ट्वीट कर लिखा, ‘मैं जितने खिलाड़ियों को जानता हूं शायद ही कोई इतना टफ प्लेयर हो। मेरी ओर से विष्णु और उनके परिवार को सलाम है। मैं चाहूंगा कि अभी ऐसे और शतक उनके बल्ले से निकलते दिखें।’
तेंदुलकर ने पिता के निधन के बाद बनाया था शतक
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने 1999 वर्ल्ड कप के दौरान अपने पिता प्रोफेसर रमेश तेंदुलकर के निधन के तुरंत बाद शतक बनाया था। तेंदुलकर ने कहा था, ‘मैं घर आने पर अपनी मां को देखकर भावुक हो गया था। मेरे पिता के निधन के बाद वे टूट गई थीं, लेकिन उस दुख की घड़ी में भी वह मुझे घर पर रुकने देना नहीं चाहती थीं और वह चाहती थीं कि मैं टीम के लिए खेलूं। जब मैंने केन्या के खिलाफ वह शतकीय पारी खेली थी, तो मैं बहुत भावुक हो गया था।’ सचिन ने केन्या के खिलाफ 101 गेंदों पर 140 रन की पारी खेली थी।
1999 वर्ल्ड कप में केन्या के खिलाफ तेंदुलकर ने 140 रन बनाए थे।
विराट कोहली के साथ भी हुआ था कुछ ऐसा
टीम इंडिया के पूर्व कप्तान विराट कोहली के साथ भी रणजी मैच में कुछ ऐसा ही हुआ था। वे दिल्ली की टीम से खेल रहे थे कि अचानक उनके पिता का निधन हो गया। इसके बावजूद विराट बल्लेबाजी करने आए और बेहतरीन अर्धशतक लगाते हुए अपनी टीम को हार से बचाया। इसके बाद वे अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे।
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