बीवी की तरह रहो, वरना बर्बाद कर दूंगा करियर: महिला-साइक्लिस्ट का आरोप, खेल अधिकारी बोलीं- लड़कियों को बिना डरे आगे आना होगा
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नई दिल्ली3 मिनट पहलेलेखक: दीप्ति मिश्रा
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देश की एक शीर्ष महिला साइक्लिस्ट ने अपने कोच पर बदसलूकी करने का आरोप लगाया है। इस आरोप ने खेल जगत में एक बार फिर भूचाल ला दिया है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) ने एक्शन लेते हुए स्लोवेनिया में एक प्रतियोगिता के लिए गई इस टीम को वापस बुलाया लिया। कोच का अनुबंध समाप्त जांच के लिए समिति का गठन किया है।
यह पहला मामला नहीं है, जब किसी महिला खिलाड़ी ने कोच पर इस तरह का आरोप लगाया हो। इससे पहले भी कई बार न केवल कोच-खिलाड़ी का रिश्ता शर्मसार हुआ, बल्कि महिला खिलाड़ियों की कमी के पीछे भी इसी को बड़ी वजह माना जाता है।
महिलाओं के लिए अब भी है मुश्किल डगर
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर की खेल अधिकारी पूनम बिश्नोई कहती हैं कि एक वक्त था, जब लड़कियों को सिर्फ घर के आंगन में खेलने की आजादी थी। उस वक्त खेल सिर्फ मदों के लिए थे, तब किसी को उम्मीद तक नहीं थी कि लड़कियां इस क्षेत्र में मेडल भी जीत सकती हैं। साल 1896 में ग्रीस की राजधानी एथेंस में आधुनिक इतिहास में पहली बार ओलिंपिक हुआ, जिसमें केवल पुरुषों ने ही हिस्सा लिया। साल 1900 में पेरिस में ओलिंपिक खेल आयोजित हुए, जहां पहली बार महिला खिलाड़ी भी मैदान में नजर आईं। हालांकि, कुल 997 खिलाड़ियों में सिर्फ 22 महिलाएं थीं। वक्त के साथ समाज और सोच बदली। महिलाओं की खेलों में भागीदारी बड़ी, लेकिन सफर अब भी मुश्किल है।
मैं खुशकिस्मत हूं, जो कोच ने नहीं तोड़ा मनोबल
दिल्ली की आयरन मैन साइक्लिस्ट कीर्ति विरमानी कहती हैं, ‘साइक्लिस्ट का जो मामला सामने आया है, वो निंदनीय है। भारतीय खेल प्राधिकरण को सख्ती बरतनी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं पर रोक लग सके। मैं साल 2015 से साइकलिंग कर रही हूं। मैं अब तक गोल्डन ट्रायंगल (दिल्ली से आगरा, जयपुर और फिर दिल्ली), मनाली और आयरन मैन समेत कई प्रतियोगिताओं में राइड कर चुकी हूं। मैं साइकिलिंग की कोचिंग सिंगापुर में रह रहे कोच अर्जुन कंडीगुप्पा से ऑनलाइन ली। स्विमिंग की ट्रेनिंग यहीं के कोच से ली। मैं खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि मुझे इस तरह की स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। मेरा मनोबल नहीं तोड़ा गया। हालांकि, रोड पर कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है, इसलिए अकेले राइड पर नहीं जाती हूं।’
कोच और साथियों से नहीं, सड़क पर लगता है डर
गुरुग्राम की साइक्लिस्ट और मॉडल रानी माहेश्वरी कहती हैं कि महिला साइक्लिस्ट के साथ जो हुआ, वो किसी भी महिला के साथ नहीं होना चाहिए। ऐसी घटनाएं लड़कियों को खेल में आगे आने से रोकती हैं। साई को इस पर सख्त से सख्त कदम उठाना चाहिए ताकि फिर किसी लड़की को इस तरह की स्थिति का सामना न करना पड़े।
रानी माहेश्वरी कहती हैं, ‘मैं साल 2016 से साइकिलिंग कर रही हूं। अब तक दिल्ली से चंडीगढ़, गोल्डन ट्रायंगल और आयरन मैन कंपटीशन में राइड कर चुकी हूं। फरवरी में दुबई आयरन मैन प्रतियोगिता जीती, जिसमें स्विम, साइकिलिंग और रनिंग को 8 घंटे में पूरा करना होता है। मुझे साथी साइक्लिस्ट और कोच के साथ अभी तक कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन रोड पर इस तरह की दिक्कत हुई। एक बार पीछे से किसी ने धक्का मार दिया, जिसके चलते मुझे काफी चोट आई थी, उसके बाद से मैंने अकेले राइड पर जाना बंद कर दिया।’
ओलिंपिक मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला ने लगाए थे आरोप
सिडनी में साल 2000 में पहली बार किसी भारतीय महिला ने ओलिंपिक पदक जीता था। यह पदक कर्णम मल्लेश्वरी ने जीता था। भारत के लिए यह बेहद गर्व का क्षण था, लेकिन 2015 में ओलिंपिक पदक जीतने वाली देश की पहली महिला खिलाड़ी ने कोच रमेश मल्होत्रा पर गंभीर आरोप लगाए। उनका आरोप था कि पिछले एक दशक में भारतीय महिला खिलाड़ियों को टीम में जगह दिलाने के नाम पर कोच उनका यौन शोषण कर रहे हैं। इसको लेकर उन्होंने तीन बार इंडियन वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के सामने मामला उठाया। बाद स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एक्शन लेते हुए कोच रमेश का तबादला बेंगलुरु कर दिया था। हालांकि, कोच ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था।
जब खिलाड़ियों ने कोच पर लगाए यौन शोषण के आरोप
पिछले साल जुलाई में तमिलनाडु के खेल प्रशिक्षक पी नागराजन पर कई महिला एथलीटों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए। महिला खिलाड़ियों के मुताबिक, नागराजन पिछले कई सालों से उसका यौन शोषण करता रहा। इससे पहले भी गुरु द्रोणाचार्य की भूमिका निभाने वाले कोच के महिला खिलाड़ी पर बुरी नजर डालने के कई मामले सामने आए, लेकिन कई बार सबूतों के अभाव तो फिर दबाव में आकर केस वापस ले लिया गया और आरोपी बच गए।
- 2015 में झारखंड के बोकारो जिले में ताइक्वांडो की एक खिलाड़ी ने अपने कोच पर यौन शोषण करने की कोशिश का मामला दर्ज कराया। आरोप था कि खेल में मौका देने के बदले कोच उससे संबंध बनाना चाहता था।
- 2015 में केरल के साई प्रशिक्षण केंद्र में शारीरिक उत्पीड़न से तंग आकर चार महिला खिलाड़ियों ने आत्महत्या की कोशिश की थी, जिनमें से एक की मौत हो गई। महिलाओं ने आरोप लगाया था कि वहां उनका हर रोज यौन उत्पीड़न हो रहा है। बर्दाश्त से बाहर होने के बाद उन्होंने जहर खाकर जान देने की कोशिश की थी।
- 2014 के एशियन गेम्स में एक महिला जिम्नास्ट इंदिरा गांधी इनडोर स्टेडियम में नेशनल कैंप अटेंड करने गई थी, जहां उसका यौन शोषण किया गया। मामले में कोच मनोज राणा पर केस दर्ज किया गया।
- 2014 को हिसार साई प्रशिक्षण केंद्र की पांच महिला खिलाड़ियों ने कोच पर जबरन किस करने और यौन उत्पीड़न करने के मामले में केस दर्ज कराया। ग्राम पंचायत के दबाव में आकर खिलाड़ियों को केस वापस लेना पड़ा। तीन साल बाद साई ने कोच की सजा के तौर पर पेंशन में सिर्फ 10% की कटौती की।
- 2013 में गुजरात के गांधीनगर साई केंद्र पर दो महिला खिलाड़ियों ने कोच पर यौन शोषण कर वीडियो बनाने और ब्लैकमेल करने का मामला दर्ज कराया था। पीड़ित खिलाड़ियों ने खेल मंत्री और राहुल गांधी को पत्र भी लिखा था। मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ कोच ट्रांसफर हुआ।
- 2011 में तमिलनाडु बॉक्सिंग एसोसिएशन के सेक्रेटरी पर एक महिला खिलाड़ी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। महिला के मुताबिक, सेक्रेटरी टीम में सेलेक्ट करने के बदले हमबिस्तर होने का दबाव बना रहा था।
- 2010 में महिला हॉकी टीम की खिलाड़ियों ने कोच पर यौन प्रताड़ना और गंदी हरकतें करने का आरोप लगाया था। भारतीय हॉकी महासंघ ने खिलाड़ियों के पक्ष को गंभीरता से लिया। कोच को इस्तीफा देना पड़ा था।
- 2009 में आंध्र प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के सेक्रेटरी पर टीम की एक महिला खिलाड़ी ने दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने सेक्रेटरी के खिलाफ केस भी दर्ज किया था।
- 2009 में हैदराबाद के लाल बहादुर स्टेडियम में महिला बॉक्सर के सुसाइड करने की घटना ने काफी तूल पकड़ा था। आरोप था कि कोच ने उसका यौन उत्पीड़न किया।
तीन साल में यौन शोषण की 17 शिकायतें मिलीं
केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर दिसंबर, 2021 को लोकसभा में बताया कि साल 2018 से अब कि साई को यौन शोषण की 17 शिकायतें मिलीं। इनमें सबसे अधिक सात शिकायतें साल 2018 में और छह 2019 में आईं। इंडियन एक्सप्रेस ने पिछले साल आरटीआई से जानकारी मांगी थी, जिसके मुताबिक, साई के अंतर्गत आने वाले देश के 24 अलग-अलग संस्थानों में पिछले 10 साल में महिलाओं के साथ यौन शोषण के 45 मामले सामने आए। इनमें से सबसे ज्यादा 29 मामले कोच और खिलाड़ियों के बीच के हैं। इस पर साई के पूर्व डायरेक्टर जनरल ने कहा था कि यौन शोषण के आंकड़ों की संख्या इससे कहीं बहुत अधिक हो सकती है, क्योंकि कई मामलों में महिला खिलाड़ी शिकायत दर्ज नहीं करा पाती हैं।
लड़कियों को मुंहतोड़ जवाब देना होगा..
खेल अधिकारी पूनम बिश्नोई कहती हैं कि महिला खिलाड़ियों को पहले भी यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, लेकिन अब सरकार के सकारात्मक रुख को देखते हुए वे आगे आ रहीं हैं। अपनी शिकायत दर्ज करा रहीं हैं। हालांकि, कई बार बहादुरी दिखाने की कीमत भी चुकानी पड़ती है। आवाज उठाने आसान नहीं है, लेकिन उठानी ही होगी। लड़कियों को शस्त्र और शास्त्र दोनों का प्रशिक्षण लेना होगा। मुंहतोड़ जवाब देना होगा।
महिला कोच की संख्या बढ़ने से घटेगी परेशानी
जूनियर रेसलर मानविका गौतम कहती हैं कि पुरुष कोच अच्छे से सिखाते हैं। फिर भी मुझे लगता है कि महिला कोच होनी चाहिए ताकि लड़कियां अपनी सारी बातें खुलकर बता सकें। बता दें कि मानविका अब तक स्टेट लेवल पर गोल्ड, सिल्वर और ब्रांज मेडल जीत चुकी हैं। वहीं नेशनल लेवल की कबड्डी प्लेयर शशि ठाकुर बताती हैं कि जब खेल संस्थानों में सभी स्तरों पर महिला कोच की संख्या बढ़ेगी, तभी महिला खिलाड़ियों की पुरुष कोच पर निर्भरता कुछ कम होगी। साथ ही खेलों में यौन शोषण की घटनाओं में कमी आएगी।
सरकार ने उठाए ये कदम
खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने सदन में बताया कि यौन शोषण को रोकने और शिकायत दर्ज कराने के लिए साई के हर प्रशिक्षण केंद्र पर उचित व्यवस्था की गई है। साई के अलग-अलग केंद्रों पर आंतरिक शिकायत समिति बनाई गई हैं। महिला खिलाड़ियों को कोई दिक्कत न हो इसलिए महिला अधिकारी ही समिति की अध्यक्ष हैं। साई में 24×7 कॉल सेंटर की व्यवस्था की है, जहां ट्रेनिंग लेने वाली खिलाड़ी अपनी शिकायत कभी भी दर्ज करा सकते हैं।
साइक्लिस्ट कीर्ति विरमानी। महिला खिलाड़ियों का कहना है कि महिला कोच की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं में कमी आ सके।
क्या है मामला और साइक्लिस्ट ने क्या आरोप लगााया?
देश की शीर्ष महिला साइक्लिस्ट ने SAI को ई-मेल लिख भारतीय राष्ट्रीय टीम के साइकिलिंग कोच आर के शर्मा पर बुरा बर्ताव करने का आरोप लगाया है। ई-मेल के मुताबिक, ‘कोच आर के शर्मा जबरदस्ती मेरे कमरे में घुस आए। मालिश की पेशकश की। साथ सोने के लिए कहा। मुझे जबरदस्ती अपनी ओर खींच लिया। कहा कि वह मुझे अपनी पत्नी बनाना चाहते हैं। इसलिए मैं उनके साथ बीवी की तरह व्यवहार करूं, क्योंकि वह मुझसे बेहद प्यार करते हैं। जब मैंने विरोध किया तो कोच ने नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एनसीओई) से हटाकर मेरा करियर बर्बाद करने की धमकी दी। कहा कि बात नहीं मानी तो सड़क पर सब्जियां बेचेगी।’
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