धोनी फैक्टर भूले तो चूक रहे धुरंधर: पहले टी20 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 200+ बनाने के बाद भी हार गई टीम इंडिया

नई दिल्ली6 मिनट पहलेलेखक: चंद्रेश नारायणन

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महेंद्र सिंह धोनी के 2020 में सफेद गेंद की क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद भारतीय टीम में एक तरह का खालीपन आ गया है। टीम इससे कभी भी उबर नहीं पाई है और कई बार जब टीम मौके चूक जाती है तो यह नजर आ जाता है। हाल ही में खत्म हुए एशिया कप के दौरान रिषभ पंत को स्टंप्स पर गेंद मारकर आउट करने का मौका मिला था, लेकिन वे श्रीलंका के खिलाफ यह मौका चूक गए। नतीजा भारतीय टीम बाहर हो गई।

उस समय तुरंत ही क्रिकेट जगत के विशेषज्ञों द्वारा पंत की तुलना धोनी से की जाने लगी कि अगर उस समय धोनी मौजूद होते तो नहीं चूकते। पिछले तीन साल में धोनी की अनुपस्थिति को टीम ने कई बार महसूस किया है। टेस्ट क्रिकेट में उनकी जगह जल्दी भर गई, लेकिन सफेद गेंद की क्रिकेट में अभी भी उनकी जरूरत नजर आने लगती है। ऐसे ही पांच वाकये, जब सीमित ओवर्स की क्रिकेट में धोनी का गेम प्लान नजर आया…

बैटिंग में भी लीडरशिप दिखाते थे
धोनी ने 72 टी20 में कप्तानी की और 41 जीते। इसमें 18 मैच टॉस जीतकर और 23 टॉस हारकर जीते। धोनी ने सबसे ज्यादा 13 मैच, तब जीते जब उन्हें टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी। धोनी की कप्तानी में जीते 41 में से 22 मैचों में धोनी नाबाद लौटे। विराट अपनी कप्तानी में जीते 30 में से 11 मैच और रोहित अपनी कप्तानी में जीते 31 मैचों में सिर्फ 3 मैच में नाबाद रहे।

धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 41 टी-20 जीते।

धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने 41 टी-20 जीते।

2007 का टी20 वर्ल्ड कप फाइनल: नए गेंदबाज को थमाई गेंद, ताकि बल्लेबाज समझ न सके
पाकिस्तान 158 के लक्ष्य का पीछा कर रहा था। पाकिस्तान के मिस्बाह क्रीज पर थे और एक विकेट बाकी था। पाक को आखिरी ओवर में 13 रन चाहिए थे। अनुभवी हरभजन सिंह का एक ओवर बाकी था, लेकिन धोनी ने रिस्क लेते हुए अनुभवहीन जोगिंदर शर्मा को गेंद दी। उन्होंने ऐसा इसलिए भी किया था क्योंकि मिस्बाह ने हरभजन के तीसरे ओवर में तीन छक्के जड़े थे।

धोनी की इस स्ट्रेटजी ने काम किया। जोंगिदर की पहली गेंद वाइड और दूसरी पर छक्का पड़ा, लेकिन उन्होंने वापसी करते हुए तीसरी गेंद पर मिस्बाह का विकेट लेकर पाक की पारी खत्म कर दी। मिस्बाह ने शॉर्ट फाइन-लेग पर स्कूप किया, जहां वे श्रीसंथ द्वारा लपके गए। धोनी के जादू ने भारत को पहला टी20 वर्ल्ड चैंपियन बनाया।

भारतीय टीम पाकिस्तान को 5 रन से हराकर 2007 में टी-20 वर्ल्ड चैंपियन बना था।

भारतीय टीम पाकिस्तान को 5 रन से हराकर 2007 में टी-20 वर्ल्ड चैंपियन बना था।

2011 का वर्ल्ड कप फाइनल: बड़े मैच में आगे आकर जिम्मेदारी ली और अंतिम समय तक टिके रहे
पूरे टूर्नामेंट के दौरान युवराज के ऑल राउंड प्रदर्शन, जहीर खान की सटीक गेंदबाजी और सचिन तेंदुलकर की निरंतरता से भारत ने जीत हासिल की, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल में भारत ने अपना टॉप ऑर्डर सस्ते में गंवा दिया था। गंभीर और कोहली ने 83 रन की साझेदारी की। लेकिन कोहली के आउट होने के बाद धोनी खुद क्रीज पर उतरे।

उन्होंने इन-फॉर्म खिलाड़ी युवराज को नहीं भेजा। यह मास्टर स्ट्रोक साबित हुआ, क्योंकि धोनी ने गंभीर के साथ चौथे विकेट के लिए 109 रन की साझेदारी कर टीम को जीत के करीब पहुंचा दिया। उन्होंने 79 गेंद पर 91 रन की नाबाद पारी खेली। धोनी ने छक्का जमाकर भारत को जीत दिलाई और वे प्लेयर ऑफ द फाइनल बने।

2011 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी ने 91 रन बनाए थे।

2011 वनडे वर्ल्ड कप फाइनल में धोनी ने 91 रन बनाए थे।

2013 की चैंपियंस ट्रॉफी: खिलाड़ी की प्रतिभा को पहचाना और उसी हिसाब से भूमिका दी
इस टूर्नामेंट ने भारत में सफेद गेंद की क्रिकेट के नए युग की शुरुआत की। तब तक यह तय था कि सचिन के वनडे से संन्यास लेने के बाद गंभीर और सहवाग ओपनिंग करेंगे। लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी 2013 के दौरान सब बदल गया। भारत रोहित शर्मा और शिखर धवन की नई ओपनिंग जोड़ी के साथ टूर्नामेंट में उतरा। उनकी यह योजना सफल रही क्योंकि रोहित-शिखर की जोड़ी अगले एक दशक तक सबसे सफल ओपनिंग जोड़ी रही।

धोनी ने ही रोहित को ओपनर के रूप में स्थापित किया। यह कल्पना करना कठिन है कि रोहित का वनडे का ओपनर बनने से पहले सिर्फ 30 का औसत था और वे वनडे वर्ल्ड कप की टीम में भी नहीं चुने गए थे। अब वे टेस्ट में भी ओपनिंग करते हैं और सभी फॉर्मेट के कप्तान हैं।

-शिखर की नई ओपनिंग जोड़ी के साथ उतरी थी टीम इंडिया।

-शिखर की नई ओपनिंग जोड़ी के साथ उतरी थी टीम इंडिया।

2016 टी20 वर्ल्ड कप: सिर्फ गेंदबाज पर निर्भर नहीं रहे और जरूरत पड़ने पर रोल बदला
बांग्लादेश के खिलाफ बेंगलुरु में खेला गया यह करो या मरो का मुकाबला था। भारत को टूर्नामेंट में बने रहने के लिए यह मैच जीतना जरूरी था। बांग्लादेश आसानी से लक्ष्य का पीछा कर रहा था और उसे जीत के लिए आखिरी ओवर में 11 रन चाहिए थे। धोनी ने एक बार फिर सरप्राइज दिया और युवा हार्दिक पंड्या को गेंद थमाई। हार्दिक की गेंद पर 4 चौके आए।

बांग्लादेश को आखिरी गेंद पर सिर्फ 2 रन चाहिए थे। उन्होंने थ्रो में मदद करने के लिए एक ग्लव्ज उतार दिया। बांग्लादेश के शुवागता होम ने बाउंसर मिस किया और बाई पर रन लेने के लिए दौड़ पड़े। धोनी के पास गेंद गई और उन्होंने तेजी से दौड़ लगाकर बेल्स गिराकर मुस्ताफिजुर को रन आउट कर दिया। इसी के साथ भारत मैच एक रन से जीत गया।

धोनी के रन आउट की मदद से भारत ने बांग्लादेश को एक रन से हराया।

धोनी के रन आउट की मदद से भारत ने बांग्लादेश को एक रन से हराया।

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