जानिए क्यों हुई कोलकाता IPL से बाहर?: शॉर्ट पिच गेंदों के आगे नहीं टिक सके KKR के बल्लेबाज, 6 पॉइंट्स में समझिए पूरी कहानी

मुंबई7 मिनट पहलेलेखक: कुमार ऋत्विज

कोलकाता नाइट राइडर्स आखिरकार लखनऊ के खिलाफ करीबी मुकाबले में 2 रन से हार कर IPL से बाहर हो गई। 2012 और 2014 में IPL जीतने वाली यह टीम इस साल 14 मुकाबले खेलकर सिर्फ 6 मैच जीत सकी। KKR का नेट रन रेट +0.146 रहा।

शॉर्ट पिच गेंदों के आगे KKR के बल्लेबाज दबाव में दिखे। इसके अलावा ओपनिंग जोड़ी का फ्लॉप शो, रसेल पर हद से ज्यादा निर्भर होना और कप्तान-कोच विवाद भी टीम पर भारी पड़ा। आइए आपको 6 वजह बताते हैं, जिनके कारण कोलकाता प्लेऑफ तक नहीं पहुंच सकी।

1. शॉर्ट पिच गेंदों के आगे कोलकाता के बल्लेबाजों ने घुटने टेक दिए
भारत के लिए इंटरनेशलल क्रिकेट खेल रहे श्रेयस अय्यर समेत कोलकाता के दिग्गज बल्लेबाज शॉर्ट गेंदों के सामने बेबस नजर आए। सीजन के 53वें मुकाबले में लखनऊ सुपर जायंट्स और कोलकाता की टीम आमने-सामने थी। LSG ने टॉस हारकर पहले खेलते हुए 176 रन बनाए। बदले में KKR 14.3 ओवर में 101 रन बनाकर आउट हो गई।

LSG 75 रन से मुकाबला जीत गई। इस दौरान मोहसिन खान, दुष्मंथा चमीरा, आवेश खान और जेसन होल्डर की पेस बैटरी ने मिलकर आठ विकेट चटकाए। इनमें से छह विकेट शॉर्ट या शॉर्ट-ऑफ-गुड-लेंथ गेंद पर आए।

शॉर्ट पिच गेंदों के सामने श्रेयस अय्यर अक्सर असहज हो जाते हैं और विकेट गंवा देते हैं।

शॉर्ट पिच गेंदों के सामने श्रेयस अय्यर अक्सर असहज हो जाते हैं और विकेट गंवा देते हैं।

यह इस सीजन में पहली बार नहीं था, जब किसी टीम ने शॉर्ट गेंद के खिलाफ नाइट राइडर्स की कमजोरी का फायदा उठाया हो। इससे पहले गुजरात टाइटंस ने 156 रनों का बचाव करते हुए शॉर्ट बॉल के बूते ही शानदार जीत हासिल की थी। IPL 2022 के 53वें मुकाबले तक KKR के बल्लेबाजों ने तेज गेंदबाजों की शॉर्ट या शॉर्ट-ऑफ-गुड-लेंथ गेंदों के खिलाफ 29 विकेट गंवाए, जो बाकी टीमों की तुलना में सबसे अधिक थे।

2. सलामी जोड़ी बुरी तरह फ्लॉप रही

कोलकाता को सबसे ज्यादा निराशा सलामी जोड़ी से मिली। रिटेन किए गए खिलाड़ी वेंकटेश अय्यर और अजिंक्य रहाणे ओपनिंग करते हुए पूरी तरह फ्लॉप रहे। दरअसल, वेंकटेश को टीम इंडिया के लिए मिडिल ऑर्डर में खेलने का मौका मिलता है और KKR उनसे ओपनिंग करवाती है। दोनों स्लॉट में आसमान धरती का फर्क है। परिणाम यह हुआ कि वेंकटेश पावरप्ले के दौरान गेंद की शुरुआती मूवमेंट का अंदाजा नहीं लगा सके। उनकी नाकामी ने मिडिल ऑर्डर पर दबाव बढ़ा दिया।

अजिंक्य रहाणे को 7 मुकाबलों में टीम का हिस्सा बनाया गया, जहां वह 19 की औसत से केवल 133 रन बना सके। इंडियन टेस्ट टीम से खराब फॉर्म के आधार पर बाहर किए गए रहाणे को कोलकाता ने टी-20 फॉर्मेट में ओपनर के तौर पर चुनकर गलती की, जिसका खामियाजा टीम को IPL से बाहर होकर भुगतना पड़ा।

3. गेम चेंजर खिलाड़ियों को कम मौके दिए गए

कोलकाता के लिए एक और बड़ी समस्या खिलाड़ियों को पर्याप्त अवसर ना देने की रही। दुनिया के नंबर वन गेंदबाज और हार्ड हिटर बल्लेबाज पैट कमिंस ने सीजन के सबसे तेज अर्धशतक के दम पर KKR को MI के खिलाफ मुकाबला जिताया था।

अपनी पारी में कमिंस ने 4 चौके और 6 छक्के जड़े थे। 15 गेंदों पर 373 की स्ट्राइक रेट से खेलते हुए कमिंस ने नाबाद 56 रन बनाए थे। इसके बाद कुछ मुकाबलों में औसत प्रदर्शन के कारण उन्हें प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया। जिस खिलाड़ी ने नामुमकिन टारगेट चेज कर दिखाया हो, उसे टीम में लगातार मौका दिया जाना चाहिए था।

कमिंस को लगातार 6 मुकाबलों तक ड्रॉप करने का परिणाम हुआ कि वापसी के बाद वे अपनी पुरानी लय हासिल नहीं कर सके। बाद में उन्होंने हल्की चोट के नाम पर टूर्नामेंट छोड़ने का फैसला कर लिया। दरअसल, कोलकाता की टीम अपने स्टार खिलाड़ियों को ठीक से मैनेज नहीं कर सकी। अगर कमिंस को और मौके दिए जाते तो पॉइंट्स टेबल में उसके हालात बेहतर होते।

4. आंद्रे रसेल के भरोसे हर बार बल्लेबाजों ने छोड़ दिया मुकाबला, कई बार हाथ लगी नाकामी

KKR हर मुकाबले में आंद्रे रसेल के कंधों पर टीम को जीत दिलाने की जिम्मेदारी छोड़ देती थी। आखिरी ओवर में 4 विकेट चटकाने से लेकर बैटिंग के दौरान अंतिम ओवर में 3 छक्के जड़ने तक, रसेल ने भरसक प्रयास किया। KKR इस चक्कर में कई बार यह भूलती नजर आई कि क्रिकेट एक टीम गेम है।

हर खिलाड़ी हर मैच में दमदार प्रदर्शन नहीं कर सकता। उसके साथ मैदान पर खड़े होकर टीम को जीत दिलाने के लिए दूसरे खिलाड़ियों को भी उतनी ही शिद्दत से मेहनत करनी होती है। अगर रसेल को बाकी खिलाड़ियों का साथ मिला होता तो कोलकाता का इतना बुरा हाल नहीं होता।

5. KKR को मिस फील्ड पड़ी भारी

कोलकाता की खराब फील्डिंग उसके बुरे प्रदर्शन की बड़ी वजह रही। रिंकू सिंह जैसे शानदार फील्डर और आक्रामक बल्लेबाज को केवल 7 मुकाबले खेलने का मौका दिया गया। लखनऊ के खिलाफ 15 गेंदों पर ताबड़तोड़ 40 रन बनाकर उन्होंने टीम को लगभग जीत दिला दी थी। अगर रिंकू को सभी मुकाबलों में प्लेइंग 11 में जगह दी गई होती, तो कोलकाता को इस तरह टूर्नामेंट से बाहर नहीं होना पड़ता।

तेज रफ्तार से दौड़कर मुश्किल कैच आसानी से पकड़ लेने वाले खिलाड़ी को अगर हर मुकाबले में मौका दिया गया होता, तो KKR की फील्डिंग और बल्लेबाजी में बड़ा बदलाव नजर आता। रिंकू ने कई मुश्किल कैच लपक कर अपनी योग्यता साबित कर दी। उम्मीद है कि अगले वर्ष कोलकाता खिलाड़ियों को परखने में हुई भूल से सबक सीखकर मैदान में उतरेगी।

6. टीम के चयन में मैनेजमेंट के दबाव ने नुकसान किया

KKR के कप्तान, कोच और टीम के CEO के बीच विवाद की खबरें सुर्खियां बनाती रही। कप्तान श्रेयस ने बयान तक दे दिया कि टीम चुनने में CEO का दखल होता है। इस बयान से हंगामा खड़ा हो गया। कोच ब्रेंडन मैकुलम के साथ भी रणनीति को लेकर कप्तान श्रेयस की पटरी नहीं बैठ सकी।

जब टीम में इस हद तक कलह हो, तो मैदान पर उसका निगेटिव असर नजर आना स्वाभाविक था। विवादों के चलते ही शायद मैकुलम ने सीजन के बीच में इंग्लैंड के टेस्ट कोच बनने का ऑफर स्वीकार कर लिया। कुल मिलाकर इन्हीं वजहों के कारण कोलकाता IPL 2022 से बाहर होने वाली तीसरी टीम बन गई।

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