कुछ महीनों में बदली क्रिकेट की तस्वीर: भारत की B टीम ने ऑस्ट्रेलिया में इतिहास रचा, पाक ने 29 साल बाद टीम इंडिया को हराया

नई दिल्ली3 मिनट पहले

विश्व क्रिकेट में एक अलग ही दौर चल रहा है। कोई कमजोर टीम किसी मजबूत टीम को पटखनी देकर चौंका रही है, तो कभी कोई मजबूत टीम, कमजोर टीम के सामने अचानक घुटने टेक रही है। यदि पिछले कुछ वक्त के मैचों पर गौर करें, तो ऐसा लगता है कि क्रिकेट में इस वक्त तख्तापलट चल रहा है, ये है टीमों का तख्तापलट। भारत की B टीम ऑस्ट्रेलिया की ‘फुल स्ट्रेंथ’ टीम को हरा देती है, तो बांग्लादेश जैसी कमजोर टीम टेस्ट में विश्व विजेता न्यूजीलैंड को उन्हीं के घर पर हराकर सभी को हैरान कर देती है।

इतना ही नहीं भारत, जो आज तक वर्ल्ड कप के इतिहास में पाकिस्तान से कभी नहीं हारा, उसे पाकिस्तान ने आसानी से 10 विकेट से ऐसे हराया, मानो ये वे सदियों से करते आ रहे हैं। या तो इन टीमों में जोश आ गया है, खिलाड़ियों ने अपनी फाइटिंग स्पिरिट को बढ़ा लिया है, या फिर ये बड़ी टीमों पर बायो बबल में लंबा वक्त बिताने का असर है…

भारत की B टीम ने रचा इतिहास
2020-21 में टीम इंडिया बॉर्डर-गावस्कर सीरीज खेलने के लिए ऑस्ट्रेलिया दौरे पर गई थी। कैप्टन कोहली ने पहले ही साफ कर दिया था कि वो एडिलेड में खेले जाने वाले पहले टेस्ट के बाद पूरी सीरीज के लिए मौजूद नहीं रहेंगे। एडिलेड टेस्ट में भारत को 8 विकेट से हार का सामना करना पड़ा। इस टेस्ट की दूसरी पारी में तो कोहली एंड कंपनी 36 पर ढेर हो गई थी। विराट के सीरीज के ब्रेक लेने के बाद टीम की कप्तानी अजिंक्य रहाणे के पास थी और इसके बाद जो हुआ वो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया।

MCG में खेला गया दूसरा टेस्ट भारत ने 8 विकेट से जीता। सिडनी में खेला गया तीसरा टेस्ट ड्रॉ रहा। इस मैच में भारत के सामने 407 रन का टारगेट था और कंगारू टीम की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन टीम ने 334/5 का स्कोर बनाकर मैच को ड्रॉ कराया। ऋषभ पंत ने 97 रन की पारी खेली। फिर हनुमा विहारी और आर अश्विन ने साढ़े 3 घंटे बैटिंग कर मैच को बचा लिया।

सीरीज का आखिरी टेस्ट ब्रिस्बेन, गाबा में होने वाला था, लेकिन सीरीज के निर्णायक मुकाबले से पहले इंजरी ने टीम इंडिया की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। गाबा टेस्ट से पहले 9 खिलाड़ी इंजर्ड हो चुके थे। इनमें मोहम्मद शमी, उमेश यादव, केएल राहुल, हनुमा विहारी, रवींद्र जडेजा, ऋषभ पंत, रविचंद्रन अश्विन, जसप्रीत बुमराह और मयंक अग्रवाल के नाम शामिल थे। ब्रिस्बेन में टीम इंडिया अश्विन और बुमराह के बिना खेल रही थी।

वॉशिंगटन सुंदर और टी नटराजन इस मैच से टेस्ट डेब्यू कर रहे थे, जबकि नवदीप सैनी और शार्दूल ठाकुर का ये दूसरा ही मुकाबला था। ब्रिस्बेन में ऑस्ट्रेलियाई टीम पिछले 32 साल से नहीं हारी थी। भारत के लिए इस मैच के हीरो शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा, वॉशिंटन सुंदर और ऋषभ पंत रहे। ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में 369 रन बनाए। इसके जवाब में भारत ने भी 336 रन का टोटल दिया। दूसरी पारी में कंगारू टीम 294 रन पर ऑलआउट हो गई। ऑस्ट्रेलिया में अपना सबसे बड़ा 328 रन का टारगेट चेज करते हुए भारत ने वनडे स्टाइल में बैटिंग की और सीरीज 2-1 से अपने नाम कर ली।

शुभमन 146 बॉल पर 91 रन की पारी खेलकर आउट हुए। चोटिल होने के बावजूद पुजारा ने 211 बॉल में 56 रन बनाकर लंबे समय तक अपना विकेट बचाए रखा। पंत (89) आखिर तक डटे रहे। उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया। सुंदर ने भी मैच ने 84 रन बनाने के अलावा 4 विकेट भी चटकाए।

पाकिस्तान से हारा भारत
पिछले एक साल में क्रिकेट के सबसे बड़े मैच रिजल्ट की बात करें तो उसमें टी-20 वर्ल्ड कप के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच खेले गए मैच का जिक्र जरूर किया जाएगा। टी-20 विश्व कप के लिए भारत को खिताबी जीत का फेवरेट माना जा रहा था और वर्ल्ड कप के इतिहास में 1992 से लेकर भारत का रिकॉर्ड पाकिस्तान के खिलाफ शत-प्रतिशत था, लेकिन मैच में मिली हार के साथ टीम इंडिया धड़ाम से जमीन पर आ गिरी। सीधे शब्दों में कहा जाए, तो टीम ने सिर्फ ढाई घंटे के खेल में अर्श से फर्श तक का समय तय किया।

पाक ने भारत को पूरे 10 विकेट से हराया और 1992 के वनडे वर्ल्ड कप के बाद विराट कोहली भारत के पहले कप्तान हैं, जिनकी कप्तानी में टीम इंडिया को पाकिस्तान से हार मिली। 1992 से अब तक टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप में भारत-पाकिस्तान की 13 बार भिड़ंत हुई है, जिसमें भारत ने 12 और पाक ने 1 मुकाबला जीता है।

इस हार के बाद न्यूजीलैंड ने भी भारत को अगले ही मुकाबले में 8 विकेट से हराया और भारतीय टीम के टी-20 वर्ल्ड कप जीतने का सपना महज एक सपना बनकर ही रह गया। टीम सेमीफाइनल तक में एंट्री नहीं कर सकी। ये वर्ल्ड कप भारत के इतिहास का सबसे खराब टूर्नामेंट रहा।

बांग्लादेश ने पूरी दुनिया को चौंकाया
साल की शुरुआत में न्यूजीलैंड और बांग्लादेश के बीच दो मैचों की टेस्ट सीरीज खेली गई थी। सीरीज के पहले मुकाबले में बांग्लादेश ने सभी को हैरानी में डालते हुए कीवी टीम को 8 विकेट से हरा दिया। बांग्लादेश के टेस्ट इतिहास की ये सबसे बड़ी जीतों में से एक रही। साथ ही 7 जनवरी 2011 के बाद बांग्लादेश पहली ऐसी एशियाई टीम बनी, जिसने न्यूजीलैंड को उसकी सरजमीं पर हराया हो। इससे पहले पाकिस्तान ने कीवी टीम को उनके घर में शिकस्त दी थी।

मैच में जीत के लिए बांग्लादेश को 40 रनों का टारगेट मिला था, जिसे उन्होंने 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया। मैच में सबसे पहले न्यूजीलैंड ने बल्लेबाजी की थी और उन्होंने 328 रन बनाए थे। इसके जवाब में बांग्लादेश 458 रनों का पहाड़ जैसा स्कोर खड़ा कर दिया था। इसी के साथ उन्हें 130 रनों की बढ़त मिली थी।

इस ऐतिहासिक जीत के बाद बांग्लादेश को दूसरे टेस्ट में भी जीत का फेवरेट माना जा रहा था, लेकिन कीवी टीम ने जोरदार वापसी करते हुए मुकाबला एक पारी और 117 रन से जीता और सीरीज को 1-1 की बराबरी पर खत्म किया।

आयरलैंड ने वेस्टइंडीज को धोया
जनवरी में वेस्टइंडीज और आयरलैंड के बीच 3 वनडे मैचों की सीरीज खेली गई थी। आयरलैंड ने शानदार प्रदर्शन करते हुए वेस्टइंडीज को 2-1 से हराया। पहला मैच मेजबान वेस्टइंडीज ने 24 रन से जीता था, लेकिन इसके बाद आयरलैंड ने दमदार वापसी करते हुए दूसरा मुकाबला 5 विकेट और अंतिम मैच 2 विकेट से जीतकर सीरीज अपने नाम की थी।

ये पहला मौका रहा जब आयरिश टीम ने वेस्टइंडीज को 50 ओवर फॉर्मेट सीरीज में हराया हो। इससे पहले दोनों देशों के बीच कुल तीन बार वनडे सीरीज खेली गई थी और हर बार विंडीज ने आयरलैंड को धूल चटाई थी।

अफ्रीका ने उड़ाई टीम इंडिया की नींद
टी-20 वर्ल्ड कप के शर्मनाक प्रदर्शन के बाद टीम इंडिया के लिए साउथ अफ्रीका दौरा काफी अहम माना जा रहा था। टीम ने दौरे के शुरुआत सेंचुरियन टेस्ट में मिली 113 रन की जीत के साथ की, लेकिन इसके बाद मानो सब कुछ बदल गया। अफ्रीकी टीम ने पहले जोहान्सबर्ग टेस्ट जीतकर सीरीज में वापसी की और इसके बाद केपटाउन टेस्ट जीतकर टेस्ट सीरीज पर भी कब्जा जमा लिया। दोनों मैच मेजबान टीम ने 7 विकेट से जीते।

टेस्ट सीरीज के बाद विराट कोहली ने इस फॉर्मेट की कप्तानी छोड़ क्रिकेट जगत को हैरानी में डाल दिया। खैर, वनडे सीरीज के लिए भारतीय टीम को एक बार फिर से फेवरेट के तौर पर आंका जा रहा था, लेकिन यहां तो टीम खेल के हर डिपार्टमेंट में फिसड्डी साबित हुई। न तो मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज चलें और न ही गेंदबाजों ने जोर लगाया। 3 मैचों की सीरीज में भारत को क्लीन स्वीप का सामना करना पड़ा।

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