आपकी कहानी दैनिक भास्कर ऐप पर: गर्लफ्रेंड दूसरे शहर जा रही थी तो रो रहे थे, तभी सचिन ने शतक लगाया और पंकज नाचने लगे
एक दिन पहले
- टी-20 वर्ल्ड कप तक दैनिक भास्कर ऐप पर चलेंगी- क्रिकेट वाली यादें
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दैनिक भास्कर के पाठक हमें रोजाना ढेरों कहानियां शेयर कर रहे हैं। आपसे एक रिक्वेस्ट है, कि कहानी खुद शूट कीजिए, अपने फोन से। अगर शूट नहीं कर रहे हैं तो कहानी से जुड़ी कुछ तस्वीरें भी भेजिए। फिलहाल आज की कहानी बिहार के पंकज की है। आइए देखते हैं-
मेरी एक गर्लफ्रेंड थी। सब बढ़िया चल रहा था। हम एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाते रहते थे, लेकिन 12वीं पास हुए तो उसका सिलेक्शन हैदराबाद के कॉलेज में हो गया। अब वो शहर छोड़ने की तैयारी करने लगी।
ये बात 15 साल पुरानी है। तब हम दोनों में से एक के भी पास मोबाइल नहीं था। शहर से बाहर जाने का मतलब था कि रिश्ता खत्म। मैंने कोशिश की वो हैदराबाद न जाए, लेकिन वो नहीं मानी।
स्टेशन पर आंसू बहने लगे थे
फिर एक दिन आया जब वो अपना सामान बांध कर स्टेशन के लिए निकल रही थी। मैंने उसके घर में अपनी इमेज ठीक बनाई थी। जब वो जा रही थी तो मैं भी परिवार वालों के साथ सामान लेकर गया। स्टेशन पर सबकी आंखें नम थीं, लेकिन मेरे आंखों से आंसू बहने लगे। पता नहीं उसके घरवाले क्या समझे लेकिन कोई नाराज नहीं हुआ। सब बस मुझे चुप कराने लगे। कुछ देर बाद वो भी काफी रोने लगी। मेरी हालत ज्यादा बिगड़ रही थी तो मैं बिना ट्रेन आए स्टेशन से निकल गया। वहां रहने पर शायद मैं रह नहीं पाता और उसे गले लगाकर रोने लगता। फिर तो उसके घरवाले पक्का मुझे स्टेशन पर घसीट-घसीट कर मारते।
निराश लौटा तो मन बहलाने के लिए क्रिकेट देखना शुरू किया
वहां से निराश होकर लौटा तो भारत और बांग्लादेश का मैच चल रहा था। मन बहलाने के लिए मैंने क्रिकेट देखना शुरू किया। सौभाग्य से सचिन मैदान पर थे। वो मेरे फेवरेट थे। जैसे-जैसे सचिन का स्कोर बढ़ता जाता मेरा दर्द कम होता जाता। देखते ही देखते सचिन ने शतक लगाकर अकेले दम पर वो मैच जिता दिया और इधर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
मैच खत्म हुआ तो मैं अपनी जगह पर नाचने लगा। जबर्दस्त पार्टी का मूड बन गया। हमने जमकर जश्न मनाना शुरू किया। तभी पीछे से मुझे अपनी गर्लफ्रेंड की आवाज आई। मुझे लगा कि नशे में वहम हो रहा है, लेकिन सच ये था वो ट्रेन छोड़कर आ गई थी। लेकिन उसने मुझे देखा और फिर लौट गई। इसके बाद वो जिंदगी में 14 साल तक वापस नहीं आई। जब आई थी शादीशुदा, बच्चों के साथ। अब भी हम उस दिन को याद करके हंसते हैं।
ये कहानी थी पंकज की। हम चाहते हैं आपकी कहानी भी यहां हो। इसके लिए आपको खुद ही अपनी कहानी को रिकॉर्ड करना होगा। साथ में लिखकर भी भेजिएगा।
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