IPL में प्राइज मनी के लिए नहीं खेलती टीमें: प्लेऑफ में न भी पहुंचे तो करोड़ों की कमाई…मगर 20% BCCI को देना जरूरी

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36 मिनट पहलेलेखक: आदित्य मिश्र/आतिश कुमार

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IPL में प्राइज मनी के लिए नहीं खेलती टीमें: प्लेऑफ में न भी पहुंचे तो करोड़ों की कमाई…मगर 20% BCCI को देना जरूरी

10 टीमें, 70+ मैच और 52 दिन का महासमर…IPL 2023। तालियों की गूंज और पैसे की चकाचौंध का मेला अब खत्म हो चुका है।

हिस्सा लेने वाली 10 टीमों में से एक चैंपियन को 20 करोड़ का प्राइज मिला। प्लेऑफ में पहुंचने वाली तीन और टीमों को भी कैश प्राइज मिले।

मगर बाकी 6 टीमें खाली हाथ लौट गईं!!!

नहीं, दरअसल ऐसा नहीं है। IPL में हिस्सा लेने वाली टीमों के लिए प्राइज मनी तो कमाई का सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा है।

70 हजार करोड़ की ब्रांड वैल्यू पार कर चुकी IPL में हिस्सा लेने वाली हर टीम मालामाल हो रही है।

आज हम आपको बताएंगे कि आखिर IPL की ये टीमें बनती कैसे हैं, एक टीम ओनर बनने के लिए क्या करना पड़ता है? और फिर कमाई का गणित क्या है?

जानिए, IPL की फ्रेंचाइजी का पूरा अर्थशास्त्र…

पहले समझिए, आखिर IPL की टीमें बनती कैसे हैं

ऑक्शन में तय होता है टीम का ओनर…ऑक्शन में हिस्सा लेने के लिए भी 3000 करोड़ का वैल्युएशन जरूरी

BCCI तय करती है कि IPL में कब नई टीम जोड़नी है। टीम की ओनरशिप का फैसला ऑक्शन के जरिये होता है। मगर इस ऑक्शन में हर कोई हिस्सा नहीं ले सकता।

ऑक्शन में हिस्सा लेने की पहली शर्त होती है कि उस व्यक्ति या ग्रुप की वैल्युएशन 3000 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा हो।

ये शर्त पूरी करने वाले ई-मेल के जरिये BCCI को आवेदन भेजते हैं। BCCI ही तय करता है कि आवेदन करने वालों में किसे ऑक्शन में बैठने की अनुमति दी जाए।

2008 में बनी थी 8 टीमें…2022 में 2 और जुड़ीं

IPL के पहले सीजन यानी 2008 में कुल 8 शहरों के नाम पर टीमों को अनाउंस किया गया था। फिर अलग-अलग कंपनियों ने बोली लगाकर टीमें खरीदी।

2008 में BCCI ने टीमों के ऑक्शन के लिए बेस प्राइस 379 करोड़ रुपए रखा था। मुंबई के लिए सबसे ज्यादा 850 करोड़ रुपए।

बीच में राजस्थान और चेन्नई की टीमों पर बैन लगने पर BCCI ने पुणे और कोच्चि की टीमें शुरू की थीं। मगर बाद में ये टीमें खत्म हो गईं और राजस्थान और चेन्नई लीग में लौट आईं।

2021 में IPL में दो नई टीमें जोड़ने का ऐलान किया गया। गुजरात और लखनऊ के नाम पर बनी इन टीमों के लिए ऑक्शन दुबई में हुआ था। इसमें अडाणी ग्रुप, टॉरेंट और मैनचेस्टर यूनाइटेड ने भी हिस्सा लिया था।

गुजरात की टीम को सीवीसी कैपिटल ग्रुप ने खरीदा, वहीं लखनऊ को आरपी संजीव गोयनका ग्रुप ने अपना बनाया। दो फ्रेंचाइजी के बदले BCCI को कुुल 12 हजार करोड़ रुपए मिले।

हमेशा अच्छी नहीं थी फ्रेंचाइजी की हालत…डेक्कन चार्जर्स प्लेयर्स को भी पैसे नहीं दे पा रहा था

शुरुआती सालों में टीम ओनर्स के लिए हालात बहुत अच्छे नहीं थे। खर्च ज्यादा था और मुनाफा बहुत कम। हैदराबाद के नाम पर बनी टीम डेक्कन चार्जर्स की हालत ऐसी हो गई थी कि प्लेयर्स को देने के लिए भी पैसे नहीं थे।

इसी के बाद बीसीसीआई ने डेक्कन चार्जर्स की दोबारा नीलामी की और यह सनराइजर्स हैदराबाद के रुप में 450 करोड़ रुपए के साथ एक नई टीम बनकर आई।

अब बरस रहा पैसा, मुंबई का ब्रांड वैल्युएशन 10 हजार करोड़ से ज्यादा

IPL टीमों की ब्रांड वैल्यू हर साल दोगुनी होती है। 5 बार IPL का टाइटल जीत चुकी मुंबई इंडियंस इस लीग की सबसे सफल फ्रेंचाइजी है। यही वजह है कि टीम की ब्रांड वैल्यू भी 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है।

दरअसल, किसी भी टीम की ब्रांड वैल्यू के बढ़ने का पैमान यहां उसका लीग में बेहतरीन प्रदर्शन करना है। यहीं कारण है कि 2023 में मुंबई के बाद ब्रांड वैल्यू में दूसरे नंबर पर चेन्नई है। क्योंकि टाइटल जीतने में भी वो टीम मुंबई से एक पायदान नीचे है।

अब जानिए, आखिर IPL की टीमें पैसे कहां से कमाती हैं

सेंट्रल पूल से आता है टीम्स की कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा

टीम्स की कमाई का 70 से 80% हिस्सा IPL के सेंट्रल पूल से आता है। सेंट्रल पूल यानी IPL के मीडिया राइट्स, टाइटल स्पॉन्सरशिप और अन्य स्पॉन्सरशिप्स से होने वाली कमाई।

इस कमाई का 50% हिस्सा BCCI के पास जाता है। बचे हुए हिस्से में से करीब 45-50 करोड़ रुपए प्राइज मनी में जाते हैं।

बाकी बची रकम 10 फ्रेंचाइजी ओनर्स में बंटती है। ये रकम को फ्रेंचाइजी की पॉपुलैरिटी और परफार्मेंस के हिसाब से बंटती है। जो टीम ज्यादा पॉपुलर होती है, उसका शेयर भी उतना ही ज्यादा होता है।

कमाई का दूसरा बड़ा हिस्सा आता है स्पॉन्सरशिप से…जर्सी पर 10 स्पॉट स्पॉन्सर को बेच सकती है टीम

जब आप आईपीएल देख रहे होते हैं तो सबसे पहले आपकी नजर किस पर पड़ती है। प्लेयर की जर्सी पर लगे बड़े-छोटे लोगो पर?

दरअसल हर IPL टीम एक जर्सी के 10 स्पॉट तक के लिए स्पॉन्सर बेच सकती है। कैमरे पर विजीबिलिटी के हिसाब से इन स्पॉन्सर स्पॉट के रेट तय होते हैं।

आप जो टीम की जर्सी के फ्रंट पर स्पॉन्सर देखते हैं, उसे प्रिंसिपल स्पॉन्सर कहते हैं।

जर्सी पर हर स्पॉट के लिए अलग डील

जर्सी पर स्पॉट सालाना कीमत (रु. में)
फ्रंट (प्रिंसिपल स्पॉन्सर) 25 से 30 करोड़
जर्सी का बैक 10 से 15 करोड़ रु.
राइट अपर चेस्ट 10 से 15 करोड़ रु.

जर्सी स्पॉन्सर के अलावा ब्रांड्स टीम के ऑफिशियल पार्टनर्स भी बन सकते हैं।

इस डील के लिए उन्हें सालाना 80 लाख से 3 करोड़ रुपए देने होते हैं।

चेन्नई सुपर किंग्स IPL की स्टार टीम में से एक है इसलिए इसके तीन साल की प्रिंसिपल स्पॉन्सरशिप लेने के लिए टीवीएस ग्रुप को 100 करोड़ रुपए देने पड़े हैं।

हर टीम अपने होमग्राउंड पर होने वाले मैच के टिकट बेचकर कमाती है, टीम मर्चेंडाइज से भी कमाई

IPL की हर टीम का एक होम ग्राउंड होता है। हर टीम के होम ग्राउंड पर एक सीजन में 7-8 मैच होते हैं।

इन मैचों के टिकट के रेट टीम ही तय करती है। टिकट से होने वाली कमाई भी फ्रेंचाइजी की ही होती है। इसके साथ ही टीम के लोगो वाली जर्सी, कैप, चश्मे और बैग जैसे मर्चेंडाइज भी टीमें बेचती हैं।

टीम के रेवेन्यू में 10 से 15 प्रतिशत हिस्सा टिकट सेल का होता है।

अब देखिए, IPL की टीमों की कमाई खर्च कैसे होती है

अपनी कुल कमाई का 20% हिस्सा BCCI को देती हैं टीमें

IPL की हर टीम अपनी कुल कमाई का 80% हिस्सा ही खुद रख सकती है। 20% हिस्सा उसे BCCI को देना होता है। ये रकम उस फ्रेंचाइजी फीस से अलग होती है जो ऑक्शन में टीम जीतने के बाद ओनर्स BCCI को देते हैं।

ऑक्शन में प्लेयर खरीदने पर होता है टीमों का खर्च

हर एक फ्रेंचाइजी अपनी टीम में रिटेन किए गए खिलाड़ियों को जोड़कर मैक्सिमम 25 और मिनिमम 18 खिलाड़ी रख सकती हैं। किसी भी टीम में ज्यादा से ज्यादा आठ विदेशी खिलाड़ी हो सकते हैं।

जितने विदेशी खिलाड़ियों को रिटेन किया जाता है, आठ में से संख्या घटती जाती है। 2022 में पंजाब किंग्स ने सबसे कम दो खिलाड़ियों को रिटेन किया था, ऐसे में टीम के पास सबसे ज्यादा 23 स्लॉट खाली थे।

सालाना प्लेयर सैलरी पर 90 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। ये रकम सभी फ्रेंचाइजी के लिए फिक्स है।

टीम के ट्रैवल-स्टे से लेकर चीयर लीडर्स और सपोर्ट स्टाफ का खर्च फ्रेंचाइजी का

IPL के दौरान फ्रेंचाइजी प्लेयर ऑक्शन से लेकर, उनके एक मैदान से दूसरे मैदान तक आने-जाने का खर्च, होटल बुकिंग जैसे दूसरे खर्चों को मैनेज करती हैं।

इसके अलावा दूसरे खर्चों में ये चीजें आती हैं-

  • सपोर्ट स्टाफ की सैलरी
  • होम ग्राउंड के लिए स्टेट बोर्ड को पैसा
  • खिलाड़ियों की ट्रेनिंग और इंटरटेनमेंट
  • चीयर लीडर्स

चीयर लीडर्स को प्रति मैच 12 से 15 हजार रुपए

मैदान पर हर चौके-छक्के के बाद प्लेयर्स और दर्शकों का उत्साह बढ़ाने के लिए चीयर लीडर्स को भी फ्रेंचाइजी मोटी रकम देती।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन्हें एक मैच के 12,000-15,000 रुपए दिए जाते हैं।

चीयर लीडर्स को सबसे ज्यादा पेमेंट कोलकाता की टीम देती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीम हर चीयर लीडर को प्रति मैच 24 हजार रुपए तक देती है।

जबकि मुंबई और बेंगलुरू की टीमें प्रति मैच 20 हजार रुपए तक पेमेंट करती हैं।

शुरुआती सालों में थी दिक्कत…अब टीम के खर्च कम, मुनाफा ज्यादा

IPL के शुरुआती सालों में टीमों के लिए दिक्कत जरूर थी। उस दौर में BCCI ने भी कई मौकों पर टीमों को आर्थिक सहायता दी थी।

मगर अब हालात बदल चुके हैं। हर सीजन में टीमें स्पॉन्सरशिप और ब्रांडिंग के जरिये ही करोड़ों की कमाई करती हैं।

इस कमाई के अलावा फ्रेंचाइजी ओनर अपने खुद के ब्रांड का प्रमोशन भी प्लेयर्स से करवाते हैं। यानी कमाई तो होती ही है, खुद का ब्रांड प्रमोशन भी होता है।

ऐसे में IPL टीम चलाना बिजनेस घरानों के लिए फायदे का सौदा बन गया है। तभी गुजरात और लखनऊ की टीमों के लिए ओनर्स ने 12 हजार करोड़ तक चुकाना मंजूर किया।

आने वाले दिनों में IPL की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए टीमों की कमाई में और इजाफा ही होने की उम्मीद है।

ग्राफिक्स: हर्षराज साहनी

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