खन्ना में इंटरनेशनल खिलाड़ी का अपमान: मलेशिया से ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लौटा; नहीं हुआ स्वागत, मायूस होकर संन्यास का ऐलान

खन्ना27 मिनट पहले

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खन्ना में इंटरनेशनल खिलाड़ी का अपमान: मलेशिया से ब्रॉन्ज मेडल जीतकर लौटा; नहीं हुआ स्वागत, मायूस होकर संन्यास का ऐलान

दिल्ली से रोडवेज की बस में पहुंचा खन्ना।

पंजाब के खन्ना में इंटरनेशनल पैरा कराटे खिलाड़ी का अपमान हुआ। मलेशिया में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाकर शहर लौटे इस खिलाड़ी का किसी ने भी स्वागत नहीं किया। इतना ही नहीं खिलाड़ी दिल्ली से रोडवेज की बस पकड़कर खन्ना पहुंचा था। खिलाड़ी तरुण शर्मा ने मायूस होकर संन्यास का ऐलान कर दिया।

तरुण शर्मा 21 से 23 जुलाई तक आयोजित दूसरी एशियन कराटे चैंपियनशिप में भारत की तरफ से भाग लेने मलेशिया गया था। इस चैंपियनशिप में 43 देशों के पैरा खिलाड़ी पहुंचे थे। भारत की तरफ से मात्र दो खिलाड़ी एक तरुण शर्मा और दूसरा दिल्ली से था। तरुण ने मलेशिया में अपनी ताकत का लोहा मनवाते हुए भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया। उसे उम्मीद थी कि जब वह शहर पहुंचेगा तो उसका मान सम्मान होगा।

लेकिन तरुण जब बस स्टैंड पर उतरा तो वहां उस उपलब्धि की खुशी का कोई नामोनिशान नहीं था। तरुण को लेने उसके कुछ दोस्त ही पहुंचे थे। इस दौरान तरुण ने मायूस होकर संन्यास का ऐलान कर दिया।

खन्ना बस स्टैंड पर मेडल दिखाता खिलाड़ी तरुण शर्मा।

खन्ना बस स्टैंड पर मेडल दिखाता खिलाड़ी तरुण शर्मा।

तरुण की नाराजगी का कारण
तरुण शर्मा पैरा कराटे खिलाड़ी हैं। गरीब परिवार से संबंधित हैं। पिता के साथ सब्जी की रेहड़ी लगाकर परिवार का गुजारा चलाता था। कुछ महीने पहले पिता की मौत हो गई। अब खुद रेहड़ी लगाता है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई बार देश और राज्य का नाम रोशन कर चुका है। लंबे समय से सरकार के पास नौकरी की गुहार लगा रहा है। किसी प्रकार की कोई सरकारी मदद नहीं मिल रही है।

अपने खेल के शौक को पूरा करने के लिए तरुण ने घर तक गिरवी रखा है। 12 लाख रुपए का कर्ज है। इस बार भी 1 लाख रुपए कर्ज लेकर मलेशिया खेलने गया। इतनी गरीबी है कि दिल्ली से वापस रोडवेज की बस में खन्ना लौटा। शहर पहुंचने पर भी जब किसी को तरुण की जीत पर खुशी महसूस नहीं देखी गई तो वह मायूस हो गया।

गुस्से में बोला- भुक्की, अफीम, शराब बेचूंगा
इंटरनेशनल पैरा कराटे खिलाड़ी इतना मायूस हो गया था कि गुस्से में आकर बोला कि अब भुक्की, अफीम, शराब बेचूंगा। जिस तरीके से कर्ज है उसे उतारना भी है। बाद में थोड़ा शांत होकर तरुण ने कहा कि उसकी मजबूरी है। परिवार को पालना है। देखता हूं धान का सीजन चल रहा है 400 रुपए दिहाड़ी करूंगा।

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