हम जल्द बनेंगे वर्ल्ड चैंपियन: झूलन गोस्वामी बोलीं- 23 साल बाद इंग्लैंड में मिली जीत सबसे बड़ी, अब विश्व कप की बारी
नई दिल्ली10 मिनट पहलेलेखक: कृष्ण कुमार पांडेय
19 साल 262 दिन लंबा क्रिकेट करियर। एक टेस्ट मैच में 10 विकेट लेने वाली यंगेस्ट खिलाड़ी। टेस्ट में LBW से सबसे ज्यादा 18 और वनडे में 56 विकेट। करियर में सबसे ज्यादा गेंद डालने का रिकॉर्ड। ये सभी रिकॉर्ड एक ही खिलाड़ी के हैं। नाम है- झूलन गोस्वामी। टीम इंडिया की पूर्व तेज गेंदबाज झूलन ने 24 सितंबर को लॉर्ड्स में अपना आखिरी मैच खेला।
रिटायरमेंट के बाद झूलन के क्या प्लान हैं, मौजूदा टीम को वो किस तरह देखती हैं, आखिरी मैच माकंडिग की वजह से विवाद में रहा, इस पर झूलन क्या सोचती हैं? ऐसे कई सवालों के जवाब उन्होंने दैनिक भास्कर को दिए। उसी बातचीत के कुछ अंश…
झूलन गोस्वामी ने 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ एक टेस्ट में 10 विकेट झटके थे।
सवाल: सबसे पहले तो आपको बहुत बधाई। अब हम आपका सफर जानना चाहेंगे। ये एक लंबा समय है और एक लंबी यात्रा भी। जब आप पीछे मुड़ के देखती हैं तो कैसा लगता है?
जवाब: सफर अच्छा रहा। मैं खुद को भाग्यशाली मानती हूं। भारत एक बहुत बड़ा देश है। यहां हर कोई जानता है क्रिकेट क्या है, इसे कैसे खेला जाता है। इतने लोगों के बीच एक मैं लकी हूं जिसे इस देश को इंटरनेशनल क्रिकेट में रिप्रेजेंट करने का मौका मिला। यही मेरी लाइफ का सबसे बड़ा अचीवमेंट है।
ये झूलन की मां झरना गोस्वामी हैं। 2017 महिला वर्ल्ड कप फाइनल में टीम इंडिया को मिली हार के बाद वो रोने लगी थीं।
सवाल: पूरे करियर में सबसे यादगार और सुखद अनुभव कौन सा रहा?
जवाब: जब भी आप जीतते हैं और टीम की जीत में एक महत्वपूर्ण योगदान देते हैं तो उस समय की यादें बहुत खास होती हैं। एक जीत के लिए आप इतनी प्लानिंग करते हैं, उसके बाद पूरी टीम मिलकर उसे एग्जीक्यूट करती है।
इतनी मेहनत के बाद जब सक्सेस मिलती है तो उससे संतुष्टि होती है। मैच जीतने के बाद का जो मजा है वो मेरे लिए स्पेशल मोमेंट हैं। ऐसा नहीं है कि हारने से हमें कुछ सीखने को नहीं मिला। हार ने भी हमें बहुत कुछ सिखाया है। क्रिकेट ग्राउंड ने जो सिखाया, वो लाइफ का सबसे बड़ा हिस्सा है कि कैसे उतार-चढ़ाव को हैंडिल किया जाए।
झूलन गोस्वामी को 2010 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
सवाल: आज सबसे ज्यादा विकेट लेने वाली झूलन गोस्वामी को तो सब जानते हैं। जब डेब्यू कैप नहीं मिली थी, उसके पहले क्या चुनौतियां थीं?
जवाब: डेब्यू कैप मिलने से पहले का सफर चैलेंजिंग था, क्योंकि इस दौरान आप खुद को तैयार करते हो। सिलेक्शन मैचों के दौरान ग्राउंड पर आते हो, परफॉर्म करते हो या फिर नहीं कर पाते हो। ऐसे समय पर जब ठीक परफॉर्म नहीं कर पाती थी तो काफी अपसेट होती थी। मेरा ‘नेवर गिवअप’ एटीट्यूड था जो मेरा साथ देता था। सोचती थी अगली बार जब मौका मिलेगा तो बेहतर परफॉर्म करके टीम में अपनी जगह बनाऊंगी।
डायना एडुल्जी के बाद 2012 में पद्मश्री पाने वाली झूलन दूसरी भारतीय महिला क्रिकेटर बनीं थीं।
सवाल: क्या मांकडिंग विवाद पर मैच के बाद ड्रेसिंग रूम में कोई चर्चा हुई?
जवाब: ड्रेसिंग रूम में इस बारे में कोई बात नहीं हुई। जब हमने कुछ गलत किया ही नहीं तो फिर इसका क्या मतलब। अगर हम गलत होते तो अंपायर उसे आउट करार नहीं देते। ऐसा भी नहीं है कि ये पहली बार हो रहा है। इससे पहले भी ये कई बार हो चुका है। हमारी टीम ने ऐसा तो कुछ गलत नहीं किया, जिससे इतना बवाल मच गया।
झूलन के आखिरी इंटरनेशनल मैच में मांकडिंग रनआउट हुआ था।
सवाल: इस दौरान क्या कोई फाइनेंशियल स्ट्रगल भी रहा?
जवाब: जी बिल्कुल। फाइनेंशियल स्ट्रगल तो होता ही है। ऐसा नहीं है कि मेरे साथ नहीं हुआ है। बिल्कुल हुआ है। ईमानदारी से कहूं तो इन सब चुनौतियों से ऊपर था, टीम इंडिया में खेलने का सपना। जिस टीम में खेलने के लिए आप इतनी मेहनत कर रहे हो, उसके आगे सारे स्ट्रगल छोटे हैं। क्रिकेट एक महंगा गेम है। जब तक आप अच्छे खिलाड़ी नहीं हो जाते, कहीं न कहीं फाइनेंशियल स्ट्रगल रहता है, लेकिन समय के साथ इसे हैंडिल करना सीख लेते हैं।
सवाल: लॉर्ड्स ग्राउंड पर फेयरवेल मैच का कैसा अनुभव रहा?
जवाब: वो जिंदगी के बेहतरीन मोमेंट्स में से एक था। जिस तरीके से टीम ने मुझे विदाई दी, वो यादगार है। ये हम सभी के लिए भावुक कर देने वाला क्षण था। खास तौर पर मेरे लिए।
सवाल: टीम इंडिया को इंग्लैंड में 23 साल बाद ऐतिहासिक जीत मिली है। इस जीत को आप कैसे देखती हैं?
जवाब: ये सीरीज हमारी सबसे बड़ी जीत है। इसे जीतना बहुत जरूरी था हम लोगों के लिए। इससे पहले टी-20 सीरीज में हम 2-1 से हारे थे। उसके बाद टीम ने जिस तरीके से यूनिटी के साथ परफॉर्म किया वो शानदार रहा। हम सीरीज जीतने को लेकर कमिटेड थे। टीम ने मुझसे कहा था, ‘झूलन दी की आखिरी सीरीज है तो हमें जीतना ही है।’ सीरीज जीतने के लिए टीम का कमिटमेंट और डेडिकेशन लेवल देखकर बहुत खुशी हुई।
झूलन के आखिरी मैच में टीम इंडिया के खिलाड़ी उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए।
सवाल: इन 20 सालों में महिला क्रिकेट में कितना बदलाव देखती हैं?
जवाब: इन 20 सालों में कई बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। पहले का समय थोड़ा मुश्किल था। वुमंस क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के पास उतना फंड नहीं होता था, इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं था। BCCI के आने के बाद स्थिति बदली है। लगातार इम्प्रूवमेंट होते रहे हैं।
डेब्यू के समय साल में बड़ी मुश्किल से एक टूर होता था। उस समय हमारी मैच फीस भी उतनी नहीं थी। बाकी चीजें जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर भी नहीं था। बहुत मैटर करता है। अब स्थिति में सुधार है। BCCI भी बड़े पैमाने पर वुमंस क्रिकेट को प्रमोट कर रहा है और इसे आगे लेकर जाने की बेहतरीन कोशिश कर रहा है। इसका रिजल्ट भी दिखने लगा है। कई क्वालिटी क्रिकेटर्स आ रहे हैं।
झूलन को गले लगाकर भारतीय टीम की कैप्टन हरमनप्रीत कौर उनके आखिरी मैच में फूट-फूटकर रोईं थीं।
सवाल: इन बदलावों को आगे कहां देखती हैं? वर्ल्ड कप के लिए और कितना इंतजार बाकी है।
जवाब: भारत में अब वुमंस क्रिकेट की स्थिति और बेहतर होगी। आप देखते जाइए। वुमंस टीम अब और अच्छा खेलेगी। हम बहुत जल्दी वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतेंगे। हमारे अंदर जीतने की क्षमता है।
सवाल: झूलन की अगली पारी क्या होगी?
जवाब: अभी तो कुछ सोचा नहीं। फिलहाल दुर्गा पूजा के सेलिब्रेशन में शामिल होऊंगी। अच्छा खाना, मिठाइयां और सारी मनपसंद चीजें खाऊंगी। कई सालों से परहेज रखा था, लेकिन अब रिटायरमेंट के बाद वो सभी चीजें खाऊंगी।
सवाल: BCCI वुमंस IPL शुरू करने जा रहा है। क्या हम उसमें आपको देख पाएंगे?
जवाब: अब तक ऑफिशियल अनाउंसमेंट नहीं हुई है। जब हो जाएगी, तब इस पर सोचूंगी।
सवाल: जब आप मैदान में नहीं होतीं, तो क्या करना पसंद करती हैं?
जवाब: बंगाली लोगों में एक खासियत है। सब मिलकर गप्पे मारते हैं। वही करती रहती हूं दोस्तों या परिवार वालों के साथ बैठ कर। सबके साथ मिलकर क्वालिटी टाइम स्पेंड करने की कोशिश करती हूं।
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