शूटिंग फिर पुराने फॉर्मेट में, ISSF ने नियम वापस लिए: 2020 ओलिंपिक के बाद बदले थे नियम, टॉप-2 शूटर्स के बीच होता था फाइनल्स
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नई दिल्लीएक घंटा पहले
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शूटिंग की सबसे बड़ी संस्था इंटरनेशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फेडरेशन (ISSF) ने नए नियमों को वापस ले लिया है। अब पेरिस ओलिंपिक-2024 पुराने नियमों के तहत खेला जाएगा। इन्हीं नियमों के तहत 2021 में टोक्यो ओलिंपिक खेला गया था।
दरअसल, टोक्यो ओलिंपिक के बाद ISSF ने नियमों में बदलाव किए थे। आईएसएसएफ ने 2020 टोक्यो ओलंपिक खेलों के बाद पिस्टल और राइफल निशानेबाजी में विजेता का फैसला करने के लिए फाइनल में अतिरिक्त चरण की शुरुआत की थी। इसमें टॉप-2 शूटर्स के बीच मुकाबला होता था। ब्रॉन्ज के लिए अलग मुकाबला होता था। बदले हुए नियम 8 से 15 मई के बीच आयोजित होने जा रहे बाकू वर्ल्ड कप से लागू होंगे।
नए नियम के तहत निशानेबाजों को पांच शॉट की दो सीरीज मिलेंगी
नए नियम के अनुसार फाइनल में सभी आठ निशानेबाजों को पांच शॉट की दो सीरीज मिलेंगी। इसके बाद 14 एकल मैच शॉट होंगे जहां आठ फाइनलिस्टों में सबसे कम अंक प्राप्त करने वाला निशानेबाज 12वें शॉट के बाद बाहर हो जाएगा और यह प्रक्रिया हर दो शॉट पर तब तक जारी रहेगी जब तक कि पदक विजेताओं का फैसला नहीं हो जाता। विजेता का फैसला करने के लिए फाइनल में कुल 24 शॉट दागे जाएंगे।
क्या था पुराना फॉर्मेट?
शूटिंग के पुराने नियम के अनुसार सभी निशानेबाजों के बीच क्वालिफिकेशन राउंड होता था। इस राउंड के टॉप-8 निशानेबाज फाइनल राउंड में हिस्सा लेते थे। इस राउंड में निर्धारित शॉट के बाद खिलाड़ी एलिमिनेट होते थे। आखिरी में टॉप-3 में रहने वाले वाले को ब्रॉन्ज और दूसरे नंबर के निशानेबाज को सिल्वर और पहले स्थान वाले को गोल्ड दिया जाता था।
क्या बदलाव हुए थे
खेल को दर्शकों के लिए आसान बनाने के लिए फाइनल में एक अलग स्टेज जोड़ी गई थी। जहां पहले की एलिमिनेशन प्रोसिस की जगह टॉप-2 शूटर के बीच गोल्ड मेडल मैच होता था। पहले 16 अंक तक पहुंचने वाला खिलाड़ी गोल्ड जीतता था। जबकि इस मुकाबले के दूसरे खिलाड़ी को सिल्वर से संतोष करना पड़ता था। यह नियम भोपाल वर्ल्ड कप तक लागू रहा।
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