भारत-न्यूजीलैंड मैच में कल अंपायरिंग करेंगे इंदौर के नितिन: पिता की समझाइश, कभी भी खिलाड़ी का मुंह देखकर फैसला नहीं देना
देवेंद्र मीणा/इंदौरएक घंटा पहले
भारत और न्यूजीलैंड के बीच 24 जनवरी को इंदौर के होलकर स्टेडियम में वनडे मैच खेला जाएगा। मैच के लिए दोनों टीमें इंदौर पहुंच चुकी हैं। वहीं इस बार एक खास संयोग भी मैच में रहेगा। सामान्य तौर पर जिस शहर में मैच होता है वहां का यदि खिलाड़ी भी मैच खेल रहा है तो सभी की उस पर नजर रहती है लेकिन इस बार खास बात ये कि इंदौर का एक बेटा नितिन मेनन मैच के दौरान मैदान में अंपायरिंग करता नजर आएगा।
40 साल में ऐसा पहली बार होगा जब कोई इंदौरी अंपायर अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच में मैदान पर फैसला सुनाएगा। नितिन के अंपायर पिता भी अपने शहर इंदौर में किसी अंतरराष्ट्रीय मैच में अंपायरिंग करना चाहते थे, हालांकि उन्हें अवसर नहीं मिला, लेकिन बेटे को अवसर मिलने पर वे बहुत खुश हैं। नितिन अब तक करीब 90 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं। आइए जानते हैं, उनके बारे में और ये भी बताएंगे कि पिता ने उन्हें क्या समझाइश दी थी, जो आज भी उनके दिमाग में है।
नितिन से पहले उनके अंपायर पिता के बारे में जान लीजिए
नितिन के पिता नरेंद्र मेनन भी अंपायर रहे हैं। वे बताते हैं कि ‘1960 में मैंने 13 साल की उम्र में एमपी स्कूल टूर्नामेंट खेला था। तब दो ही टूर्नामेंट होते थे एमपी स्कूल और रणजी ट्रॉफी। इसके बाद 1966 में मैंने रणजी खेला। रणजी खेलने पर तब 10 रुपए प्रतिदिन के मान से मिलते थे। अब तो ये अमाउंट करीब डेढ़ लाख रुपए रोजाना हो चुका है। प्रैक्टिस के लिए सिर्फ जिमखाना था। इंदौर में मेटिन विकेट पर खेला, रणजी में नागपुर में टर्फ पर खेलने को मिलता था। 1981 तक बतौर क्रिकेटर खेलता रहा। इसके बाद 1983 से 1997 तक रणजी ट्रॉफी में सिलेक्टर रहा। इस बीच 1982 में स्टेट लेवल अंपायर बन गया था।
पिता बोले- खिलाड़ी का मुंह देखकर अंपायरिंग मत करना
इंदौर के बेटे नितिन मेनन के पिता नरेंद्र मेनन भी अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग कर चुके हैं। आइए आपको बताते हैं कि पिता नरेंद्र मेनन ने इंदौर में होने वाले मैच और नितिन की अंपायरिंग को लेकर दैनिक भास्कर से चर्चा में क्या कहा। ‘पूरा परिवार गर्व महसूस कर रहा है। इसलिए सभी मैच देखने भी जाएंगे।
अंपायरिंग में गलती तो सभी से होती है। नोबडी इज परफेक्ट (कोई भी सम्पूर्ण नहीं होता)। कोई भी व्यक्ति जानबूझकर गलती नहीं करता है लेकिन कुछ न कुछ गलती हो जाती है। मैच कोई सा भी हो, अंपायरिंग-अंपायरिंग ही होती है। जूनियर मैच हो, रणजी ट्रॉफी मैच हो। मैंने हमेशा बच्चे को एक ही चीज बोली है कि अगर अच्छी अंपायरिंग करनी है तो कोई भी बॉलर हो, कोई भी बैट्समैन हो। मुंह देखकर अंपायरिंग करोगे तो आप कभी अच्छी अंपायरिंग नहीं कर सकते।
क्या होता है मान लीजिए सामने जैसे कपिल देव आ गए, अभी विराट कोहली हैं तो कई अंपायर चेहरा देखकर घबरा जाते हैं। बेटे को मेरी यही सलाह थी कि अपना काम है, बॉल देखना, बैट देखना, पैड्स देखना और स्टम्प देखना। सिर्फ इस पर कॉन्सन्ट्रेट करोगे तो बहुत अच्छे अंपायर बन सकते हो। नितिन ने हमेशा इस चीज को फॉलो किया और आज वह इस मुकाम पर पहुंचा है।’
नितिन के पिता नरेंद्र मेनन और नितिन के बेटे ऋषभ मेनन।
साल 2004 तक पिता भी कर चुके हैं अंपायरिंग
नितिन के पिता नरेंद्र मेनन बताते हैं कि 1990 में बीसीसीआई ने अंपायर के लिए फर्स्ट क्लास क्रिकेटर की एग्जाम ली। इसमें उन्हीं खिलाड़ियों को शामिल किया गया, जिन्होंने 40 फर्स्ट क्लास मैच खेले थे। एग्जाम में 19 खिलाड़ियों में से 10 पास हुए, जिसमें मैं भी शामिल था। इसके बाद फिर बीसीसीआई की तरफ से मैचों में अंपायरिंग करने का मौका मिला। साल 2004 तक अंपायर रहा, फिर 58 की उम्र में रिटायर्ड हो गया। अपने करियर के दौरान इंडिया-जिम्बाब्वे और इंडिया-ऑस्ट्रेलिया मैच में ऑन फील्ड अंपायरिंग की थी। इंदौर में बतौर थर्ड अंपायर अंपायरिंग की लेकिन कभी ऑनफील्ड (मैदान) पर मौका नहीं मिला। बेटे को ये अवसर मिला है, काफी खुशी की बात है।
अंपायर नितिन मेनन।
अब जानिए पिता की जुबानी इंदौर के बेटे अंपायर नितिन के बारे में…
पिता नरेंद्र मेनन बताते हैं कि नितिन ने 14 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। पहले तीन साल अंडर-16 से एमपी के लिए खेला, इसके बाद अंडर-19 भी तीन साल खेला। अच्छा क्रिकेटर है लेकिन अचानक 2007 में उसने कहा कि मुझे अंपायर बनना है। अंपायर बनने के पीछे कोई खास वजह तो उसने नहीं बताई। इसके बाद बेटे नितिन और निखिल ने अंपायर की डिवीजनल एग्जाम पास की फिर साल 2009 में नितिन ने बीसीसीआई की अंपायर के लिए होने वाली बोर्ड एग्जाम पास की।
22 साल की उम्र में नितिन बीसीसीआई का अंपायर बन गया था। वर्ल्ड में एलिट पैनल में 11 अंपायर है, जिसमें नितिन शामिल है। पैनल में शामिल हुए उसे तीन साल हो गए। वहीं सामान्य तौर पर नितिन सहित अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग करने वाले 5 अंपायर शामिल है। परफॉर्मेंस के आधार पर बीसीसीआई अंपायर के नाम आईसीसी को रिकमंड करती है।
घर के सामने पार्क में बच्चों के साथ क्रिकेट खेलने के दौरान विकेट कीपिंग करते अंपायर नितिन मेनन।
नितिन मेनन बोले- शायद यही मेरा स्पेशल मोमेंट हो
अभी तक 90 इंटरनेशनल मैच में अंपायरिंग कर चुके अंपायर नितिन मेनन कहते हैं कि ‘मैं भी काफी समय से इंतजार कर रहा था। अब चांस मिला है। काफी एक्साइटेड हूं। हो सकता है कि यही मेरा सबसे स्पेशल मोमेंट हो। मैं एमपी के लिए क्रिकेट खेलता था लेकिन परफॉर्मेंस ठीक नहीं था तो टीम से मुझे ड्रॉप कर दिया गया। 2006 में एक चांस लिया और एग्जाम के बाद बीसीसीआई की अंपायरिंग स्टार्ट की।
इंसान हैं तो गलतियां तो होंगी। टेक्नोलॉजी की वजह से आज अंपायरिंग काफी चैलेंजिंग हो गई है। टेक्नोलॉजी से आंखों को कंपेयर नहीं किया जा सकता। तकनीक है तो हमें हमारे अच्छे निर्णय और गलतियों के बारे में पता चलता है। पिता की समझाइश पर अमल करता हूं, ये चीज काफी पहले मेरे दिमाग में बैठ चुकी थी। उससे प्रेशर हैंडल करना आसान हो जाता है, फिर आप ये नहीं सोचते हैं कि कौन बॉलिंग कर रहा है या बैटिंग। विराट कोहली हैं या रोहित शर्मा, lbw है तो हमें आउट देना है।
पत्नी बैंकिंग प्रोफेशनल, क्रिकेट में ज्यादा रुचि नहीं
नितिन मेनन की पत्नी संगीता ने दैनिक भास्कर से चर्चा में कहा कि ‘ये बहुत खुशी की बात है कि नितिन होम टाउन में अंपायरिंग कर रहे हैं। हम लोग भी पहली बार इंदौर में नितिन को विटनेस करेंगे। मैच देखने जाएंगे।’ आगे उन्होंने कहा कि ‘उनका फील्ड अलग है, मेरा अलग। मैं बैंकिंग प्रोफेशनल हूं। कोई भी मैच के बारे में डिटेल में ना वो बताते हैं और न मैं पूछती हूं। मुझे क्रिकेट में थोड़ा बहुत इंटरेस्ट है, वो भी शादी के बाद हुआ पहले तो नहीं था। नितिन को घर का ही खाना पसंद है। बाहर का वो नहीं खाते हैं। इंदौरी फूड पसंद है। मैंने पूछा था, उनसे डिनर में क्या खाना पसंद करेंगे तो उन्होंने कहा कि सिंपल दाल, रोटी, सब्जी ही बनाना। कुछ स्पेशल बनाने के लिए नहीं कहा।
बेटे ऋषभ भी बनना चाहते हैं क्रिकेटर या अंपायर
नितिन के बेटे ऋषभ कहते हैं मैं क्लास फोर्थ में हूं। मुझे क्रिकेट का बहुत शौक है। मुझे बड़े होकर क्रिकेटर या अंपायर बनना है। मैं मैच देखने जाऊंगा। फ्री टाइम में क्रिकेट ही देखता हूं। पापा बहुत अच्छी अंपायरिंग करते हैं।
इंदौर में 1983 में हुआ था पहला वनडे मैच
इंदौर में पहला अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच एक दिसंबर 1983 को नेहरू स्टेडियम में खेला गया था। वहीं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के एलीट पैनल में शामिल देश के एकमात्र अंपायर नितिन इसके पहले शहर में हुए तीन अंतरराष्ट्रीय मैचों में तीसरे अंपायर रह चुके हैं।
मैच के दौरान खिलाड़ियों से चर्चा करते अंपायर नितिन मेनन।
6 साल बाद इंदौर में वनडे मैच
इंदौर में 6 साल बाद वनडे मैच होने जा रहा है और भारतीय टीम कभी भी होलकर स्टेडियम में वनडे मैच नहीं हारी है, वहीं न्यूजीलैंड को इंदौर में कभी भी जीत नसीब नहीं हुई है। न्यूजीलैंड की टीम इंदौर के होलकर स्टेडियम में अक्टूबर 2016 में टेस्ट मैच खेल चुकी है। इस मैच में भारत ने न्यूजीलैंड को 321 रनों से मात दी थी।
अंपायर नितिन मेनन।
होलकर स्टेडियम में अब तक हुए अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच
मैच | विजेता | जीत का अंतर | तारीख |
भारत-इंग्लैड | भारत | 7 विकेट | 15 अप्रैल, 2006 |
भारत-इंग्लैड | भारत | 54 रन | 17 नवंबर, 2008 |
भारत-वेस्टइंडीज | भारत | 153 रन | 8 दिसंबर, 2011 |
भारत-द.अफ्रीका | भारत | 22 रन | 14 अक्टूबर, 2015 |
भारत-ऑस्ट्रेलिया | भारत | 5 विकेट | 24 सितंबर, 2017 |
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