बॉक्सिंग की राजनीति में उलझी लवलीना: ओपनिंग सेरेमनी बीच में छोड़ा, फाइट के दौरान कोच की सलाह नहीं मानी; उनकी जिद से टीम ने डॉक्टर गंवाया

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बर्मिंघम3 घंटे पहलेलेखक: राजकिशोर

टोक्यो ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट लवलीना बोरगोहेन कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने की दावेदार थीं। ओलिंपिक की तुलना में कॉमनवेल्थ गेम्स में कॉम्पिटीशन का स्तर काफी कम है। इसलिए फैंस के साथ-साथ एक्सपर्ट भी मान कर चल रहे थे कि लवलीना के पंच से भारत को सोना मिलना तय है। लेकिन, बुधवार को एंटी क्लाइमैक्स सामने आ जाता है। लवलीना क्वार्टर फाइनल में ही हार जाती हैं। गोल्ड छोड़िए ब्रॉ़न्ज भी नहीं जीत मिला।

एक नजर में यह खेल और खिलाड़ियों से जुड़ी दुखद लेकिन सामान्य घटना लग सकती है। आखिर खेल में हार-जीत लगी जो रहती है। लेकिन, अगर हम लवलीना से जुड़े पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो मामला असामान्य नजर आने लगता है। इसमें एक स्टार एथलीट की जिद, भारतीय बॉक्सिंग में चल रहे क्षेत्रवाद और भारी मिसमैनेजमेंट जैसे पहलू उभरकर सामने आते हैं।

क्षेत्रीय राजनीति में फंसी लवलीना
लवलीना की इस हार को बॉक्सिंग फेडरेशन से जुड़े लोग नहीं पचा पा रहे हैं। नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर फेडरेशन से जुड़े एक ऑफिशियल ने बताया कि जिस तरह से लवलीना कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रही हैं उससे लगता है कि उनको कोई और ड्राइव कर रहा है। लवलीना ने गेम्स शुरू होने से पहले ट्वीट कर कहा था कि उनको मैंटली हैरेस किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाए थे कि उन्हें अपने कोच के साथ ट्रेनिंग नहीं करने दी जा रही है और उनके कोच को उनसे दूर रखा जा रहा है। लवलीना ने कहा था कि उनके कोच को कॉमनवेल्थ गेम्स विलेज में एंट्री नहीं दी गई। फेडरेशन और लवलीना दोनों को जानने वालों का कहना है कि लवलीना बॉक्सिंग फेडरेशन की क्षेत्रीय राजनीति में पड़ गई हैं। माना जा रहा है कि बॉक्सिंग फेडरेशन में उत्तर भारत और नॉर्थ ईस्ट के खेमे के बीच खींचतान चल रही है और लवलीना इसमें इस्तेमाल हो रही हैं। फेडरेशन के एक तबके का कहना है कि लवलीना ने बहकावे में आकर सोशल मीडिया पर मानसिक प्रतड़ना का आरोप लगाया।

मुक्केबाजों के डॉक्टर को करना पड़ा बाहर
लवलीना के इस आरोप के बाद बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी सफाई दी थी। बॉक्सिंग फेडरेशन ने कहा कि सिर्फ लवलीना के कोच ही नहीं बल्कि कई अन्य सपोर्ट स्टाफ भी गेम्स विलेज के बाहर रह गए। गेम्स के आयोजकों ने कुछ ही स्टाफ को गेम्स विलेज में आने का कोटा दिया था। इसलिए कुछ स्टाफ बाहर रहे। लवलीना के इस आरोप के बाद नॉर्थईस्ट से राजनीतिक दबाव बना। इसके बाद लवलीना की कोच संध्या गुरुंग को गेम्स विलेज में जगह दिलवाने के लिए टीम के डॉक्टर को बाहर कर दिया गया। पहले यह योजना बनी की नॉर्थ-ईस्ट से ताल्लुक रखने वाले एक सपोर्ट स्टाफ को बाहर कर संध्या को लाया जाएगा। लेकिन, नॉर्थ ईस्ट से राजनीतिक दखल के बाद डॉक्टर को ही बाहर कर दिया गया। बॉक्सिग टीम के मुख्य कोच ने गेम्स विलेज में अपना कमरा खाली कर लवलीना के कोच को सौंप दिया और खुद होटल में शिफ्ट हो गए।

ओपनिंग सेरेमनी से पहले भी हुआ था ड्रामा
पसंदीदा कोच की डिमांड पूरी होने के बावजूद लवलीना का गुस्सा खत्म नहीं हुआ था। वे ओपनिंग सेरेमनी को भी बीच में छोड़कर चली गई थीं। वे एक अन्य भारतीय बॉक्सर मुहम्मद हुसामुद्दीन के साथ अलेक्जेंडर स्टेडियम से खेल गांव के लिए जल्दी निकल गई। उन्होंने कहा कि सुबह अभ्यास करना है और इसी वजह से जल्दी जाना चाहती हैं। उन्हें टैक्सी नहीं मिला और दोनों घंटों बाहर फंसे रहे।

क्वार्टर फाइनल में कोच की सलाह को नजरअंदाज
लवलीना को क्वार्टर फाइनल में वेल्स की रोसी एसेल्स ने उलटफेर करते हुए 3-2 से हराया था। इस मैच में लवलीना ने दमदार शुरुआत की थी। दूसरे राउंड में उन्होंने बढ़त भी हासिल कर ली। लेकिन, इसके बाद उनका खेल बदला-बदला नजर आया। कोचिंग स्टाफ ने उन्हें खेल पर ध्यान देने को भी कहा और सिचुएशन के हिसाब से सुझाव भी दिए। लेकिन, आरोप है कि लवलीना ने इन सुझावों को नजरअंदाज कर दिया और लापरवाही भरा खेल दिखाते हुए मैच हार गईं। वे काफी रफ खेलने लगी थीं। इसके लिए उन्हें रेफरी ने चेतावनी भी दी। कोचों ने भी समझाया कि वे रफ के बजाय अपने खेल पर फोकस करें। लेकिन, लवलीना ने किसी की नहीं सुनी। ऐसे में पहले दो राउंड में उन्हें पूरा पॉइंट देने वाले एक जज आखिरी राउंड में एक अंक कम दिया और लवलीना और भारत के हाथ से मेडल निकल गया।

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