फोटोज में 2007 टी-20 वर्ल्ड कप विक्ट्री: युवी के 6 गेंदों पर 6 छक्के, चमत्कार के बाद उथप्पा का नमस्कार, माही का मास्टर स्ट्रोक और मिसबाह का आत्मघाती स्कूप

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32 मिनट पहले

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फोटोज में 2007 टी-20 वर्ल्ड कप विक्ट्री: युवी के 6 गेंदों पर 6 छक्के, चमत्कार के बाद उथप्पा का नमस्कार, माही का मास्टर स्ट्रोक और मिसबाह का आत्मघाती स्कूप

14 साल पहले आज ही के दिन टीम इंडिया पहले टी-20 वर्ल्ड कप की चैंपियन बनी थी। युवा कैप्टन धोनी की युवा ब्रिगेड ने ऐतिहासिक जीत के साथ कई ऐतिहासिक पलों को भी जिया था। युवराज के 6 गेंदों पर 6 छक्के, पाकिस्तान के खिलाफ बॉल आउट, माही के हैरान करने वाले फैसले और जोगिंदर शर्मा का फाइनल ओवर ऐसे ही कुछ लम्हे थे, जो आज भी नजरों के सामने घूम जाते हैं। तस्वीरों में देखिए विश्व चैंपियन बनने की कहानी फिर से…

14 सितंबर 2007: पाकिस्तान से पहला मैच

भारत पहले बल्लेबाजी कर रहा था। गंभीर और सहवाग को सस्ते में पवेलियन भेजकर मो. आसिफ ने टॉप ऑर्डर को बिखेर दिया। इसके बाद रॉबिन उथप्पा ने फिफ्टी लगाई। धोनी ने 30, इरफान ने 20 और अजित अगरकर ने 14 रन बनाकर किसी तरह भारत का स्कोर 141 तक पहुंचाया। पाकिस्तान को आसान जीत दिखाई देने लगी, लेकिन अगरकर, आरपी सिंह, इरफान पठान और हरभजन की चौकड़ी ने किसी को टिकने नहीं दिया। अकेले मिसबाह टिके रहे। आखिरी गेंद पर जीत के लिए एक रन चाहिए था, जो नहीं बन पाया। स्कोर टाइ हो गया। इसके बाद बॉलआउट हुआ। यानी खाली स्टंप पर दोनों टीमों ने 5-5 गेंदें फेंकी। भारत की ओर से सहवाग, उथप्पा और हरभजन ने स्टंप्स पर निशाना लगाया। पाकिस्तान की ओर से उमर गुल, अराफात और शाहिद अफरीदी स्टंप्स पर निशाना नहीं लगा पाए। भारत बॉलआउट में 3-0 से जीत गया।

16 सितंबर 2007: न्यूजीलैंड से दूसरा मैच

न्यूजीलैंड ने पहले बैटिंग करते हुए 190 का बड़ा टारगेट दिया। ब्रैंडन मैकुलम ने 45, क्रेग मैकमिलन ने 44 और जैकब ओरम ने 35 रन बनाए। मजबूत शुरुआत के बावजूद भारत केवल 180 रन ही बना सकी। 4 विकेट लेने वाले कैप्टन डेनियल विटोरी मैन ऑफ द मैच बने।

19 सितंबर 2007: इंग्लैंड से तीसरा मैच

गंभीर, सहवाग और युवराज की फिफ्टी की बदौलत भारत ने 4 विकेट पर 218 रन बना डाले। इंग्लैंड की टीम 200 रन पर सिमट गई। इस मैच के मैन ऑफ द मैच रहे युवराज सिंह, जिन्होंने 6 गेंदों में 6 सिक्स लगाकर इतिहास रच दिया। दरअसल, भारत की बैटिंग के दौरान जब फ्लिंटॉफ 18वां ओवर फेंकने आए तो युवराज ने उन्हें एक चौका और एक छक्का मार दिया। इसके बाद फ्लिंटॉफ युवराज से भिड़ गए। युवी का अंदाज और ज्यादा आक्रामक हो गया। इसके बाद जब स्टुअर्ड ब्रॉड 19वां ओवर फेंकने आए तो युवराज ने 6 गेंदों पर 6 छक्के लगा दिए।

20 सितंबर 2007: साउथ अफ्रीका से चौथा मैच

भारत ने रोहित शर्मा के 50 और धोनी के 45 रन की बदौलत 153 रन बनाए। आरपी सिंह और श्रीसंत ने टारगेट का पीछा करने उतरी साउथ अफ्रीका का टॉप ऑर्डर बिखेर दिया। आरपी सिंह ने 4 विकेट लिए।

22 सितंबर 2007: ऑस्ट्रेलिया के साथ सेमीफाइनल

धोनी ने टॉस जीतकर बैटिंग का फैसला किया। टीम इंडिया ने युवराज के 70, धोनी के 36 और उथप्पा के 34 रनों की बदौलत 188 रन बनाए। ऑस्ट्रेलिया की ओर से एडम गिलक्रिस्ट और मैथ्यू हेडन ने जबर्दस्त शुरुआत दी। हेडन ने 62 और गिलक्रिस्ट ने 22 रन बनाए, लेकिन इसके बाद उनका कोई बल्लेबाज नहीं टिक सका। केवल एंड्र्यू सायमंड्स ही 43 रन बनाकर डटे रहे। यहां ऑस्ट्रेलिया की टीम फंसी धोनी के नए ट्रंप कार्ड में, जो थे जोगिंदर शर्मा। इस मीडियम पेसर ने माइक हसी का विकेट लिया, जिन्हें मिस्टर क्रिकेट कहा जाता था। इसके अलावा उन्होंने ब्रेट ली का भी विकेट लिया।

24 सितंबर 2007: पाकिस्तान के साथ फाइनल

ये वो मुकाबला था, जिसका हर एक पल हर भारतीय के जेहन में आज भी जिंदा है। गंभीर (75) और रोहित (30) के अलावा कोई बल्लेबाज नहीं चला। स्कोर 157 रन तक पहुंच सका। मो. हफीज, इमरान नजीर, शोएब मलिक, मिसबाह, कामरान और यूनुस खान जैसे बल्लेबाजों से सजी पाकिस्तानी टीम से इस टारगेट को बचा पाना मुश्किल लग रहा था। आरपी सिंह और इरफान ने 3-3 विकेट लिए, श्रीसंत ने एक। इसके बावजूद मिसबाह उल हक अपनी टीम को जीत की ओर ले जा रहे थे, लेकिन धोनी के तेज दिमाग और बेहद सटीक रणनीति ने मिसबाह को उलझा दिया।

वो आखिरी ओवर

आखिरी ओवर में जीत के लिए चाहिए थे 23 रन और धोनी ने एक बार फिर गेंद थमाई जोगिंदर शर्मा को। मिसबाह ने दूसरी गेंद पर सिक्स मारा तो लगा कि 4 गेंदों में 16 रन बन जाएंगे, लेकिन धोनी ने चाल चली। फाइन लेग पर खड़े श्रीसंत को 10-15 मीटर भीतर बुला लिया। दौड़ते हुए जोगिंदर के पास आए और उन्हें बताया कि कौन सी बॉल डालनी है। जोगिंदर से ऑफ स्टंप के बाहर स्लोअर बॉल डालने को कहा। मिसबाह इसे समझ नहीं सके और आत्मघाती स्कूप शॉट खेला। ये शॉट हवा में चला गया और श्रीसंत ने इसे लपक लिया। इसी के साथ भारत 1983 के बाद कोई वर्ल्ड कप खिताब जीता।

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