पिछले 2 ओलिंपिक से क्यों खाली हाथ लौटे हमारे शूटर: रियो से पहले भाई-भतीजावाद, टोक्यो में आपसी कलह; पेरिस का पुख्ता प्लान नहीं

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नई दिल्ली/भोपाल3 घंटे पहलेलेखक: कृष्ण कुमार पांडेय

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जब भी ओलिंपिक गेम्स शुरू होते हैं 140 करोड़ भारतीय फैंस की नजरें निशानेबाजों पर होती हैं। कारण, हमारे शूटर्स का बीते सालों में चमकीला प्रदर्शन। 21वीं सदी के 6 ओलिंपिक गेम्स में से 3 में हमारे शूटर्स ने मेडल दिलाए थे।

भारत के ओलिंपिक इतिहास का पहला इंडिविजुअल गोल्ड भी इसी खेल से आया, जो 2008 में अभिनव बिंद्रा ने दिलाया। उससे पहले, 2004 में राज्यवर्धन राठौड़ ने सिल्वर जीतकर खेलों में शूटिंग के मेडल का खाता खोला। फिर 2012 में विजय कुमार ने सिल्वर और गगन नारंग ने ब्रॉन्ज दिलाया।

उसके बाद 2016 में रियो और 2020 में टोक्यो के ओलिंपिक गेम्स से हमारे शूटर्स खाली हाथ लौटे। ऐसा नहीं है कि हमारे निशानेबाजों में काबिलियत नहीं थी या फिर तैयारी कमजोर थी। पिछले दो ओलिंपिक गेम्स में हम अलग-अलग कारणों से हारे हैं। भोपाल में चल रहे शूटिंग वर्ल्ड कप के दौरान हमने निशानेबाजों, कोच और भारतीय शूटिंग एसोसिएशन के अधिकारियों से बात कर इन वजहों को जानने की कोशिश की। आप भी पढ़िए…

सबसे पहले देखिए भारतीय शूटर्स का 2004 से 2012 ओलिंपिक तक प्रदर्शन…

अब स्टोरी में आगे बढ़ने से पहले देखते चलते हैं पेरिस-2024 की तैयारियां…

पेरिस-2024 के लिए अब तक पुख्ता प्लान नहीं
भारतीय टीम की पेरिस ओलिंपिक की तैयारियां भी पुख्ता नहीं हैं। इसका अंदाजा भोपाल वर्ल्ड कप की मेडल टैली से लगाया जा सकता है। हम एक ही गोल्ड जीत सके, जबकि चाइना हमारे घर में 8 गोल्ड जीतकर टेबल के टॉप पर रहा। देखिए, भोपाल में आज समाप्त हो रहे वर्ल्ड कप की मेडल टैली…

अब ग्राफिक में देखिए भारतीय शूटर्स का ओलिंपिक गेम्स में ओवरऑल प्रदर्शन…

अब जानिए पिछले दो ओलिंपिक से खाली हाथ क्यों लौट रहे हमारे शूटर…?

पहले बात करते हैं टोक्यो ओलिंपिक में हुई गड़बड़ी की
टोक्यो ओलिंपिक की तैयारियां ट्रैक पर थीं, 2019 तक हमारे निशानेबाज सभी बड़ी प्रतियोगिताओं में कमाल का प्रदर्शन कर रहे थे। मनु भाकर और सौरभ चौधरी की जोड़ी तो मानों अचूक वरदान लेकर उतर रही थी। यह जोड़ी मिक्स्ड पिस्टल इवेंट में गोल्ड लेकर आ रही थी। ऐसे में सभी को इन निशानेबाजों से ओलिंपिक गोल्ड की उम्मीद थी।

2020 की शुरुआत तक हमारे शूटर्स पीक पर थे, लेकिन साल 2020 कोरोना महामारी लेकर आया और ओलिंपिक गेम्स एक साल के लिए टाल दिए गए। ऐसे में भारतीय निशानेबाजों की तैयारी धरी की धरी रह गई, क्योंकि करीब 9 महीनों के लिए सब बंद रहा। जैसे ही लॉकडाउन खुला, तो भारतीय शूटर्स ने अपनी तैयारी शुरू कर दी, लेकिन टोक्यो ओलिंपिक से ठीक 70 दिन पहले भोपाल की नवनिर्मित शूटिंग रेंज से उपजे विवाद ने डेढ़ सौ करोड़ भारतीयों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। यहां नेशनल टीम के कोच जसपाल राणा ने स्टार शूटर मनु भाकर को 25 मीटर पिस्टल इवेंट छोड़ने को कहा था। मनु के एक परिजन ने भास्कर से ओलिंपिक के बाद इस बात की पुष्ठी की थी।

गेम्स में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद NRAI प्रेसिडेंट रनिंदर सिंह ने भी स्वीकारा था कि गेम्स से पहले स्टार शूटर मनु भाकर और दिग्गज कोच जसपाल राणा एक साथ काम नहीं कर पा रहे थे। रनिंदर ने इस बात पर जोर देकर कहा था कि मैंने जसपाल राणा और मनु भाकर को साथ लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहा, हालांकि इस पर मनु ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। वहीं, जसपाल ने आरोप से साफ इंकार किया।

कुछ पॉइंट में जानिए टोक्यो में हार के कारण…

  • खिलाड़ी-कोच विवाद स्टार शूटर मनु भाकर और पिस्टल कोच जसपाल राणा के विवाद ने भारतीय शूटिंग के माहौल को इतना खराब कर दिया कि सभी शूटर्स की तैयारियां प्रभावित हुईं। कोच जसपाल के इवेंट छोड़ने की बात के बाद मनु ने जसपाल से दूरियां बना लीं और कोच बदलने का फैसला कर लिया।
  • ओलिंपिक से ठीक पहले टूटा विनिंग कॉम्बिनेशन मनु के कोच बदलने के फैसले के बाद गेम्स से ठीक पहले बतौर खिलाड़ी-कोच मनु एवं जसपाल का विनिंग कॉम्बिनेशन टूट गया और रौनक पंडित को मनु का कोच बनाया गया। इसका असर क्रोशिया वर्ल्ड कप में ही दिख गया था, लेकिन NARI नहीं चेता। क्रोएशिया में भारतीय निशानेबाजों का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा। इस वर्ल्ड कप से पहले अभिषेक वर्मा ने इंडिविजुअल ट्रेनिंग की, जबकि राही सरनोवत खुद से ट्रेनिंग करने लगीं। वहीं, सौरभ चौधरी को वेद प्रकाश पिलानिया ट्रेनिंग करा रहे थे। मेडल की सबसे बड़ी होप मनू भाकर भी अपने रेगुलर कोच जसपाल को छोड़कर रौनक पंडित के साथ ट्रेनिंग कर रही थीं।
  • ऐन मौके पर कोचिंग स्टॉफ बदला कुछ कोच गेम्स से ठीक पहले भारतीय टीम को क्रोएशिया खेलने जाने के फैसले से सहमत नहीं थे और घरेलू रेंज पर ही अपने शूटर्स की तैयारियां कराना चाहते थे, लेकिन NRAI ने टीम भेज दी। ऐसे में जसपाल, शमरेस जंग और रौनक पंडित ने अलग-अलग कारणों से क्रोएशिया जाने से इंकार कर दिया। बाद में दो कोच क्रोएशिया गए भी, लेकिन जसपाल नहीं गए। ऐसे में ओलिंपिक से ठीक पहले उन्हें ओलिंपिक दल से हटा दिया गया।
  • ओलिंपिंक विलिज में ट्रेनिंग प्रोग्राम में बदलाव ओलिंपिक गेम्स के दौरान खिलाड़ियों के ट्रेनिंग प्रोग्राम में बदलाव किया। जैसे- 50 मीटर के रायफल शूटर ऐश्वर्य प्रताप सिंह तोमर को 10 मीटर रायफल की ट्रेनिंग में भी फोकस करने को कहा गया। जबकि ऐश्वर्य गेम्स से पहले तक 50 मीटर में मेडल जीत रहे थे। ऐन मौके पर उन्हें 10 मीटर पर भी ध्यान देने को कहा गया, जिससे उनके दोनों इवेंट बिगड़ गए।

अब पढ़िए कोच-खिलाड़ी विवाद पर भास्कर के 3 सवालों पर मनु-जसपाल के जवाब…

पहले मनु भाकर से बात…

सवाल: क्या जसपाल राणा ने भोपाल में आपसे 25 मीटर इवेंट छोड़ने को कहा था?
मनु :
इस पर कुछ भी नहीं कहना चाहूंगी, अब इस पर बात करने का कोई फायदा नहीं। जो हुआ सो हुआ।

सवाल: ओलिंपिक से पहले जो हुआ उससे रिजल्ट प्रभावित हुए?
मनु:
जो बीत गया, सो बीत गया। मैं कुछ बदल नहीं सकती हूं, हमने उस टाइम पर भी ट्राई किया, जो बेस्ट पॉसिबल हो सकता था, लेकिन मुझे लगता है कि पास्ट को पास्ट ही रहने दें तो अच्छा होगा।

सवाल: किसकी गलती थी?
मनु :
कुछ गलती मेरी थी और कुछ जगहों पर सर भी गलत थे। अब जो हो गया सो हो गया। उसे बदल नहीं सकते हैं। अब हमें इन बातों से आगे बढ़कर आगे की तैयारियों में जुटना होगा।

अब जसपाल राणा से बात….?

सवाल: क्या आपने मनु को 25 मीटर इवेंट छोड़ने के लिए कहा था?
जसपाल: नहीं, मैंने उससे ऐसा कभी नहीं कहा था।

सवाल: टोक्यो ओलिंपिक में खराब प्रदर्शन के लिए किसे जिम्मेदार मानते हैं?
जसपाल : सबकी गलती थी, केवल मुझे बली का बकरा बनाया गया, बाकी किसी पर कार्यवाही नहीं हुई। बिना जांच के एकतरफा कार्यवाही की गई।

सवाल: खुद को कितना जिम्मेदार मानते हैं?
जसपाल: मैं जब तक भारतीय टीम से जुड़ा रहा। पूरी ईमानदारी से काम किया और रिजल्ट भी दिए। मैंने जो किया, मुझे उस बात का बिल्कुल पछतावा किया, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ गलत किया है। मैं तो रेंज में भी नहीं जाता था, कि खिलाड़ी डिस्टर्ब न हों। उसके बाद भी मुझे बली का बकरा बनाया।

अब बात करते हैं रियो ओलिंपिक-2016 की…
NRAI के एक पूर्व अधिकारी ने नाम न पब्लिश करने की शर्त पर बताया कि रियो ओलिंपिक से पहले ही कुछ स्टार शूटर्स को लगने लगा था कि वे मेडल जीतकर ही लौटेंगे। ऐसे में पैसे की लालच में टीम में भाई-भतीजावाद शुरू हो गया। कुछ बड़े खिलाड़ियों ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को कोच बनाया था।

कुछ पॉइंट्स में रियो ओलिंपिक में हार के कारण…

  • खिलाड़ियों ने अपने रिश्तेदारों व दोस्तों को कोच बनाया ओलिंपिक गेम्स से ठीक पहले कुछ भारतीय शूटर्स ने अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को कोच और सपोर्ट स्टॉफ के तौर पर नामित किया था, कारण कि मेडल जीतने के बाद की प्राइस मनी उनके रिश्तेदारों और दोस्तों को मिल सके। NRAI ने भी इसे स्वीकार्य किया था।
  • खिलाड़ियों में आपसी तकरार थी भारतीय महिला टीम की कुछ शूटर्स के बीच तकरार थी। जिसकारण हम मेडल से चूक गए।

अब आखिर में जानिए इस विवाद पर NRAI महासचिव कुंवर सुल्तान सिंह ने क्या कहा-
टोक्यो में जो भी हुआ हमने उसकी इंक्वॉयरी कराई और जो भी कमियां सामने आईं। उन पर काम किया है। हमने कोचिंग स्टॉफ और ट्रेनिंग प्लांस में बदलाव किए हैं। आखिर में यह कह सकता हूं कि पेरिस ओलिंपिक की तैयारियां ट्रैक पर चल रही हैं।

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