पहली बार होम ग्राउंड पर 80% मैच हारी राजस्थान: बैटिंग के बजाय बॉलिंग पिच बनाना भारी पड़ा, पढ़ें- प्लेऑफ में कैसे पहुंच सकते हैं रॉयल्स
जयपुर41 मिनट पहलेलेखक: निखिल शर्मा
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आईपीएल अपने आखिरी पड़ाव पर है। शुरुआती दौर में ख़िताब और प्लेऑफ की मजबूत दावेदार मानी जा रही राजस्थान रॉयल्स अब प्लेऑफ की दौड़ से बाहर होती नजर आ रही है। रॉयल्स को अब प्लेऑफ में पहुंचने के लिए पंजाब किंग्स के खिलाफ होने वाला अपना अंतिम मुकाबला जीतने के साथ दूसरी टीमों के रिजल्ट पर भी निर्भर रहना पड़ेगा।
ऐसे में अब रॉयल्स की राह आसान नजर नहीं आती है। रॉयल्स के साथ उसकी प्लस रन-रेट एक बड़ा प्लस पॉइंट था, मगर आरसीबी के खिलाफ 112 रनों की करारी हार ने इस पर भी बड़ा असर डाला है।
रॉयल्स की इस स्थिति की बड़ी वजह उनका अपने ही होम ग्राउंड पर खराब प्रदर्शन है। माना जा रहा था कि राजस्थान रॉयल्स अपने होम ग्राउंड जयपुर के सवाईमानसिंह स्टेडियम पर दमदार प्रदर्शन करेगी और प्लेऑफ में जगह बना लेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। एसएमएस स्टेडियम में हुए 5 में से 4 मुकाबले रॉयल्स हार गई। इनमें भी 2 हार बेहद करारी थी। रॉयल्स का आईपीएल के इतिहास में जयपुर में यह सबसे खराब प्रदर्शन रहा। इससे पहले रॉयल्स जयपुर में कभी भी इतने मुकाबले नहीं हारी।
रॉयल्स ने जयपुर में सिर्फ चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ ही जीत दर्ज की। वहीं, बाकी चार मुकाबलों में लखनऊ सुपरजायंटस, गुजरात टाइटंस, सनराइजर्स हैदराबाद और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलौर के खिलाफ उसे हार मिली। गुजरात के खिलाफ रॉयल्स जहां 9 विकेट से हारे तो वहीं आरसीबी के खिलाफ 112 रनों की हार झेलनी पड़ी। रॉयल्स के जयपुर के पुराने रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 2023 का आईपीएल रॉयल्स के लिए सबसे खराब रहा।
पिछले सीजन की बात करें तो 2019 में 7 में से 3 और 2018 में 7 में से 5 मुकाबले रॉयल्स ने जयपुर में जीते थे। इससे पहले 2013 में 8 में से 8, 2012 में 8 में से 4, 2011 में 7 में से 4 और 2010 में 3 में से 1 मुकाबला रॉयल्स ने जीता। वहीं, 2008 में जब राजस्थान रॉयल्स चैम्पियन बनी थी तब जयपुर में सातों मुकाबले रॉयल्स ने जीते थे।
रॉयल्स ने होम ग्राउंड पर ज्यादातर पिच टर्निंग ट्रैक बनवाए। यह दांव उल्टा पड़ गया।
घर में क्यों हारे राजस्थान रॉयल्स?
पहली वजह : पिच पर टीम की निर्भरता बढ़ा ली
क्रिकेट एक्सपट्र्स और जानकार मानते हैं कि रॉयल्स ने होम ग्राउंड की पिच पर अपनी निर्भरता बढ़ा ली। रॉयल्स ने होम ग्राउंड पर ज्यादातर पिच टर्निंग ट्रैक बनवाए। टीम में युजवेंद्र चहल, आर अश्विन, एडम जैम्पा जैसे स्पिनर्स होने की वजह से रॉयल्स ने स्पिनिंग ट्रैक को ज्यादा प्राथमिकता दी। मगर यह दांव उल्टा पड़ गया। स्पिनर्स तो बल्लेबाजों को रोकने में सफल रहे मगर रॉयल्स के बल्लेबाज भी इन पिचों पर टिक नहीं पाए।
दूसरी वजह : खराब टीम सलेक्शन
राजस्थान की हार के पीछे की वजह खराब टीम सलेक्शन भी रही। टीम ने कई मौकों पर गलत निर्णय लिए। आरसीबी और हैदराबाद के खिलाफ मैच में ट्रेंट बोल्ट को बाहर रखा गया। ट्रेंट बोल्ट पिछले सीजन लगभग सभी मुकाबले खेले थे ओर राजस्थान के लिए अहम साबित हुए थे। इसी तरह इस सीजन में ऑलराउंडर जेसन होल्डर का भी टीम सही इस्तेमाल नहीं कर पाई। बल्लेबाजी में देवदत्त पडि्डकल और ध्रुव जुरैल को भी टीम सही से इस्तेमाल नहीं कर पाई। कुलदीप यादव, कुलदीप सेन और मुरूगुन अश्विन का भी सही प्रयोग नहीं हुआ।
राजस्थान की हार के पीछे की वजह खराब टीम सलेक्शन भी रही। टीम ने कई मौकों पर गलत निर्णय लिए।
तीसरी वजह : संजू की कप्तानी पर भी सवाल
राजस्थान के परफॉरमेंस के कारण संजू सैमसन की कप्तानी पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई मौकों पर सैमसन के लिए गए निर्णय रॉयल्स पर भारी पड़े। कुछ मुकाबलों में टीम के सबसे प्रमुख गेंदबाज युजवेंद्र चहल के पूरे ओवर्स तक नहीं डलवाए गए। हैदराबाद के खिलाफ दूसरे मुकाबले में संदीप शर्मा का एक ओवर बाकी रहने के बावजूद कुलदीप से डलवाया गया और वे काफी महंगे साबित हुए। पंजाब के खिलाफ मैच में अश्विन को ओपन करने भेज दिया गया। ऐसे कई निर्णय इस सीजन में संजू ने किए, जिनसे उनकी कप्तानी पर सवाल उठे।
पिछले दो सीजन से रास नहीं आ रहा एसएमएस का पिच
रॉयल्स के जयपुर के एसएमएस स्टेडियम पर लगातार दो सीजन खराब रहे हैं। इससे पहले 2019 में रॉयल्स ने एसएमएस पर 7 मुकाबले खेले थे। तब भी टीम 7 में से 4 मुकाबले हार गई थी। यानी एसएमएस में खेले पिछले 12 मुकाबलों में से रॉयल्स ने महज 4 जीते हैं। यानी 65 प्रतिशत से ज्यादा मुकाबले रॉयल्स ने पिछले दो सीजन में हारे हैं। खबर अभी और भी है… आगे बढ़ने से पहले नीचे दिए पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय देते चलिए।
रॉयल्स के जयपुर के एसएमएस स्टेडियम पर लगातार दो सीजन खराब रहे हैं। पिछले 12 मुकाबलों में से रॉयल्स ने महज 4 जीते हें।
अब कैसे पहुंच सकती है आरआर प्लेऑफ में?
राजस्थान रॉयल्स के लिए प्लेऑफ की राह काफी मुश्किल हो गई है। इसके बावजूद भी रॉयल्स के पास प्लेऑफ में पहुंचने का मौका है। रॉयल्स को अब प्लेऑफ में पहुंचने के लिए खुद के मुकाबलों के साथ-साथ दूसरे मुकाबलों के रिजल्ट पर भी निर्भर रहना पड़ेगा। जानते हैं] किस तरह अब भी रॉयल्स प्लेऑफ में पहुंच सकती है।
- सबसे पहले तो रॉयल्स को पंजाब किंग्स के खिलाफ अपना आखिरी मैच जीतना होगा। अगर रॉयल्स बेहतर रन रेट के साथ इसे जीत पाई तो यह रॉयल्स के लिए फायदेमंद रहेगा। इससे रॉयल्स के 14 अंक हो जाएंगे। साथ ही यह भी दुआ करनी होगी कि पंजाब किंग्स अपना दूसरा मुकाबला हारे या फिर जीते भी तो बड़े अंतर से न जीते।
- रॉयल्स को यह उम्मीद करनी होगी कि कल लखनऊ सुपरजायंटस के हाथों हार के बाद मुंबई इंडियंस अपना अगला मुकाबला भी हार जाए।
- रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर अपने अगले दोनों मुकाबले हार जाए। या फिर एक मुकाबला जीते भी तो भी रन रेट बहुत ज्यादा ऊपर ना जाए।
- कोलकाता नाइट राइडर्स अपना आखिरी मुकाबला हारे और अगर जीते भी तो इतने बड़े अंतर से ना जीते कि रन रेट रॉयल्स से बेहतर हो जाए।
एक मैच के दाैरान क्रिकेटर्स के रिलेटिव और राजस्थान रॉयल्स के फैंस।
अपनी स्ट्रैंथ पर नहीं खेली रॉयल्स की टीम : क्रिकेट कोच
वरिष्ठ क्रिकेट कोच मनोज चौधरी कहते हैं कि राजस्थान की टीम अपनी स्ट्रैंथ पर नहीं खेली। हमारी स्ट्रैंथ बल्लेबाजी है, मगर रॉयल्स की टीम स्पिनर्स के बूते खेली। हमने टर्निंग ट्रैक तैयार कराए, जबकि हमें बैटिंग ट्रैक रखने थे। राजस्थान रॉयल्स मैनेजमेंट का ये दांव उल्टा पड़ गया। हमारे पास बल्लेबाजी ऐसी है कि अगर हम बैटिंग ट्रैक रखते तो हमें फायदा होता।
हमारे पास आर अश्विन और युजवेंद्र चहल जैसे स्पिनर्स हैं, जिन्हें टर्निंग ट्रैक की ही जरूरत नहीं हैं। वे कैसे भी पिच पर विकेट ले सकते थे। मगर हमने टर्निंग ट्रैक चुने और उसका नुकसान उठाना पड़ा। बैटिंग ट्रैक होते तो जायसवाल, बटलर, सैमसन, हैटमायर के फॉर्म का फायदा उठा सकते थे। टीम सिलेक्शन में भी कमियां रहीं, उसको भी नुकसान उठाना पड़ा। कप्तानी का भी रोल इसमें रहता है।
पिछली बार रॉयल्स के पास थी ऑरेंज-पर्पल कैप
राजस्थान रॉयल्स के खिलाड़ियों का प्रदर्शन भी इस बार उतना अच्छा नहीं रहा। पिछले सीजन में रॉयल्स के कई खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया था। यही वजह है कि बल्लेबाजी में जहां रॉयल्स के ही जॉस बटलर को ऑरेंज कैप और गेंदबाजी में जहां युजवेंद्र चहल को पर्पल कैप मिली थी। मगर इस सीजन में राजस्थान के पास न ऑरेंज कैप है न ही पर्पल कैप।
पिछले सीजन में गेंदबाजी में युजवेंद्र चहल को पर्पल कैप मिली थी।
इस बार नहीं परफॉर्म कर पा रहे रॉयल्स के स्टार
इस सीजन में राजस्थान की ओर से यशस्वी जायसवाल को छोड़ कोई और बल्लेबाज कुछ खास नहीं कर पाया है। टॉप बल्लेबाजों की लिस्ट में जायसवाल तीसरे और जॉस बटलर दसवें स्थान पर हैं। गेंदबाजी की भी स्थिति लगभग वैसी ही है। युजवेंद्र चहल 21 विकेट लेकर तीसरे स्थान पर हैं। जबकि आर अश्विन 14 विकेट के साथ 11वें स्थान पर हैं। पिछले साल अच्छा परफॉर्म करने वाले शिमरन हैटमायर, ट्रेंट बोल्ट इस बार कुछ खास नहीं कर पाए हैं।
घर में 5 मैच हारे, बाहर 5 जीते
रॉयल्स का सीजन होम ग्रांउड पर काफी खराब रहा है। रॉयल्स ने इस सीजन 13 में से 7 मैच अपने होम ग्राउंड जयपुर और सेकेंड होम गुवाहाटी पर खेले। वहीं, 6 मुकाबले अवे ग्राउंड पर खेले हैं। इनमें से जयपुर और गुवाहाटी के होम ग्राउंड सहित 7 मुकाबलों में से महज 2 ही रॉयल्स जीत सका। यह आरआर ने 5 मुकाबले हारे। वहीं, अवे ग्राउंड पर अबतक हुए 6 मुकाबलों में से 4 रॉयल्स ने जीते। इनमें चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद और गुजरात के मैदान शामिल हैं।
जायसवाल ने इस सीजन शानदार बल्लेबाजी करते हुए अबतक 575 रन बनाए हैं।
आरआर के लिए जायसवाल पिक ऑफ द सीजन
रॉयल्स के लिए इस सीजन जो सबसे अच्छी बात रही है वो ओपन यशस्वी जायसवाल का प्रदर्शन है। जायसवाल इस बार पिक ऑफ द सीजन हो सकते हैं। जायसवाल ने इस सीजन शानदार बल्लेबाजी करते हुए अबतक 575 रन बनाए हैं। इनमें एक शतक और 4 अर्द्धशतक शामिल हैं। जायसवाल ने ये रन 166 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हुए बनाए हैं। वे अबतक 74 चौके और 26 छक्के लगा चुके हैं। जायसवाल सबसे ज्यादा चौके लगाने के मामले में पहले और छक्के के मामले में तीसरे स्थान पर हैं। इस सीजन का सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर भी जायसवाल के नाम है। मुंबई इंडियंस के खिलाफ उन्होंने 124 रन बनाए थे।
1 बार चैंपियन, 3 बार की सेमीफाइनलिस्ट है रॉयल्स
राजस्थान रॉयल्स 2008 में आईपीएल की पहली चैंपियन बनी थी। टीम पिछले आईपीएल में फाइनल में पहुंची थी, जहां गुजरात टाइटंस ने उसे मात दी थी। इसके अलावा 2013, 2015 और 2018 में रॉयल्स प्लेऑफ में पहुंची है। 2013 में तीसरे और 2015-2018 में चौथे स्थान पर रॉयल्स रही थी। मुंबई, चेन्नई और केकेआर के बाद रॉयल्स सबसे सफल टीम रही है।
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