झाड़ू लगाने वाले के बेटे ने जीता गोल्ड: जेरेमी बांस की गठरी से करते थे वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस, माता-पिता नहीं बोल पाते हिंदी-अंग्रेजी
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बर्मिंघम15 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर
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जेरेमी लालरिनुंगा ने कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग की 67 KG कैटेगरी में गोल्ड मेडल जीता है। 19 वर्षीय जेरेमी मिजोरम की राजधानी आइजोल के रहने वाले हैं। उन्होंने NIS पटियाला से ट्रेनिंग ली है। वेटलिफ्टर जेरेमी लालरिनुंगा ने बीच मुकाबले के दौरान चोटिल होने के बावजूद हार नहीं मानी और सुनहरी कामयाबी हासिल की।
जेरेमी के कोच यू जोइता ने दैनिक भास्कर से खास बातचीत में बताया है कि 9 साल की उम्र में उन्होंने जेरेमी लालनिरुंगा को पहली दफा देखा था। जोइता उनसे खासे प्रभावित हुए। उनको लगा कि इस लड़के में कुछ खास है और यह आने वाले वक्त में कुछ बहुत बड़ा कर सकता है। इसके बाद जेरेमी को लेकर कोच पुणे आ गए। शुरुआती दौर में जेरेमी ने कोच के साथ उनके घर पर रहकर ही ट्रेनिंग की। कोच ने बताया कि जेरेमी बचपन से ही काफी फुर्तीले थे। इसके अलावा उनका शरीर भी काफी लचीला था।
जेरेमी लालरिनुंगा अपने कोच के साथ।
पिता ने झाड़ू मारकर उठाई परिवार की जिम्मेदारी
कोच यू जोइता कहते हैं कि छोटी-छोटी बातों में भी जेरेमी तेजी दिखाते थे। वह किसी भी मामले में जोश की बजाय होश से काम लेते थे। जेरेमी शारीरिक कसरत ही नहीं बल्कि मानसिक कसरत करने में भी माहिर थे। जेरेमी बचपन में बांस की गठरी से अभ्यास करते थे। वो 5 भाइयों में तीसरे नंबर पर आते हैं। चारों भाइयों ने हमेशा जेरेमी को खेल में पूरा समर्थन दिया। जेरेमी के पिता लालनिरुंगा स्टेट लेवल और नेशनल लेवल पर बॉक्सिंग में मेडल जीत चुके हैं। हालात बेहतर न होने के कारण लालनिरुंगा को PWD के सड़क निर्माण में झाडू मारने की नौकरी करने पड़ी।
उनके माता पिता हिंदी-अंग्रेजी बोलने नहीं आती। आज हुए मुकाबले में जेरेमी ने स्नैच में 140 और क्लीन एंड जर्क में 160 KG वेट उठाया। इस तरह उन्होंने कुल 300 KG वेट उठाया और गोल्ड मेडल अपने नाम किया। समोआ के वाइवापा आइओने (293 KG) ने सिल्वर जीता।
ये तस्वरी जेरेमी के बचपन की है। (दाएं से पहले)
स्नैच के तीसरे पहले दोनों प्रयासों में जेरेमी ने किया शानदार प्रदर्शन
जेरेमी ने स्नैच में अपने पहले प्रयास में 136 KG का वेट उठाया और गोल्ड मेडल पोजीशन पर आ गए। दूसरे प्रयास में उन्होंने 140 KG वेट उठाकर गेम्स रिकॉर्ड बनाते हुए अपनी पोजीशन और मजबूत कर ली है। जेरेमी ने तीसरी कोशिश 143 KG वेट पर की लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
जेरेमी ने 9 साल की उम्र में वर्ष 2011 में वेटलिफ्टिंग करनी शुरु की थी।
भीषण चोट के बावजूद क्लीन एंड जर्क इवेंट में उतरे
भारतीय वेटलिफ्टर ने क्लीन एंड जर्क के अपने पहले अटैम्प्ट में 154 और दूसरे अटैम्प्ट में 160 KG वेट उठाया है। तीसरी कोशिश में उन्होंने 164 KG का वेट ट्राय किया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। हालांकि, इसके बावजूद उन्होंने गोल्ड जीत लिया। क्लीन एंड जर्क के अपने पहले प्रयास के दौरान जेरेमी चोटिल हो गए। इसके बावजूद वे दो बार और लिफ्ट करने आए।
जेरेमी लालनिरुंगा 2018 यूथ ओलिंपिक के गोल्ड मेडलिस्ट हैं। साथ ही उन्होंने 2021 कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीता था। जेरेमी के कोच का नाम विजय शर्मा है। जेरेमी ने 9 साल की उम्र में वर्ष 2011 में वेटलिफ्टिंग करनी शुरु की थी। जेरेमी के पिता PWD कर्मचारी हैं। जेरेमी कुल 5 भाई-बहन हैं। वर्ष 2012 में जेरेमी का आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में चयन किया गया था। उन्होंने वर्ष 2016 में नेशनल कैंप जॉइन किया था।
प्रैक्टिस से ज्यादा वेट मेन मुकाबलों में उठाते रहे हैं जेरेमी
जेरेमी की मां हाउसवाइफ हैं। कोच ने दैनिक भास्कर को आगे बताया कि मुकाबले के दौरान जेरेमी लालनिरुंगा को कॉमनवेल्थ गेम्स, 2022 के दौरान लगी चोट पर अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। करियर की शुरुआत से ही वजन उठाने के दौरान जेरेमी के मसल्स में खिंचाव आ जाता है। हालांकि आज खिंचाव अधिक नजर आया लेकिन मसाज और एक्सरसाइज से वह जल्दी ठीक हो जाएंगे। दरअसल किस्सा ये है कि जेरेमी शुरुआत से ही प्रैक्टिस सेशन में उठाए गए वजन से ज्यादा वेट मुख्य इवेंट में उठाते रहे हैं। जेरेमी चाहते हैं कि ज्यादा से ज्यादा वजन उठाकर देश के लिए मेडल सुनिश्चित किया जाए।
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