जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप का पदकवीर: सिल्वर विजेता अमित को लोग पतलू कहकर चिढ़ाते थे, पिता ने फिटनेस के लिए रेस वॉक पर भेजा, जो उनका जुनून बन गया
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नैरोबी16 घंटे पहलेलेखक: राजकिशोर
नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलिंपिक में भारत के 124 साल के ओलिंपिक इतिहास में पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में मेडल जीता। नीरज बचपन में काफी मोटे थे और लोग उन्हें मोटू और सरपंच कहकर पुकारते थे। वे पतले होने के लिए पहले जिम गए और बाद में जेवलिन थ्रो करने लगे। वहीं नोरेबा में चल रहे अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में शनिवार को रेस वॉक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रचने वाले रोहतक के अमित खत्री की कहानी इसकी उलट है। अमित काफी दुबले-पतले थे। गांव के लड़के कमजोर और पतलू कहकर चिढ़ाते थे।
अमित के पापा सुरेश कुमार बीएसएफ में थे। जब भी वे छुट्टियों में घर पर आते, तो लोग उन्हें टोकते कि उनका छोटा बेटा कमजोर है, उन्हें यह अच्छा नहीं लगता था। उन्होंने गांव के ही एक लड़के साथ अमित को रेस वॉक के लिए भेजना शुरू कर दिया, ताकि मेहनत करेगा तो उसे भूख लगेगी। धीरे-धीरे अमित रेस वॉक में ऐसे रम गए कि नेशनल में एक बार गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और जूनियर के हर रिकॉर्ड को ब्रेक करते चले गए।
अमित के पापा सुरेश कहते हैं कि बेटे से गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीद थी। उन्होंने दैनिक भास्कर को बताया कि दो बेटे हैं। अमित छोटा है। वह बचपन से ही कमजोर था। उनकी रुचि खाने-पीने की तरफ कम ही थी। अमित के पतले होने की वजह से गांव के लोग उसे कई नामों से पुकारते थे। मैंने गांव के एक लड़के साथ 2013 में रेस वॉक के लिए भेजा, कुछ ही दिनों में अमित ने इसमें अपना करियर बनाने का ठान लिया। 2018 में नेशनल में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
छोटी उम्र से घर से बाहर रहना पड़ा
सुरेश कुमार कहते हैं कि अमित छोटी उम्र से ही ट्रेनिंग के लिए घर से बाहर रहने लगे। पहले बहादुरगढ़ फिर पटियाला, जयपुर और उरी तक गए और बाद में आर्मी के इंटरनेशनल एथलीट चंदन सिंह के पास बैंगलुरु में जाकर अभ्यास करने लगे।
इंटरेशनल एथलीट चंदन सिंह ने पहचानी प्रतिभा
अमित के कोच और इंटरनेशनल रेस वॉकर चंदन सिंह ने अमित की प्रतिभा को पहचान कर ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था। वे कहते हैं कि अमित से मेरी मुलाकात पटियाला में 2017 में हु्ई। मैंने देखा कि लड़का काफी टैलेंटेड है, अगर इसको सही मार्गदर्शन मिले तो यह कुछ कर सकता है। मैंने कुछ दिनों तक अमित को अपने साथ ट्रेनिंग कराई। मैंने देखा कि वह काफी फोकस है और काफी मेहनती भी। मैंने उसे अपने साथ बेंगलुरु साई में लेकर चला गया। वह मेरे साथ ही रूम लेकर साई कैंपस के बाहर रहता था और अभ्यास करता था। फिर 2018 में अमित ने नेशनल में गोल्ड मेडल जीता, उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई रिकॉर्ड अपने नाम किए।
अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के अमित खत्री ने सिल्वर, केन्या के हेरिस्टोन वान्योनी ने गोल्ड और स्पेन के पॉल मैकग्राथ ने ब्रॉन्ज मेडल जीता।
उत्तराखंड के गांव में ट्रेनिंग कराई
चंदन सिंह ने कहा कि ऊंचाई पर रेस वॉक करने में दिक्कत न हो और उन्हें सांस लेने में परेशानी का सामना न करना पड़े, इसलिए मैंने उत्तराखंड में अपने गांव ले जाकर उन्हें ट्रेनिंग कराई। 2019 से 2020 में लॉकडाउन होने से पूर्व तक अमित ने उतराखंड में ही मेरे पास रहकर अभ्यास किया। लॉकडाउन के बाद वे अपने गांव चले गए और उस दौरान मैंने शेड्यूल बनाकर दिया था, उसके मुताबिक अभ्यास किया। लॉकडाउन खत्म होने के बाद अमित ने नेशनल कैंप में रहकर अभ्यास किया।
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