घुटने पर झुकने को तैयार हुए क्विंटन डिकॉक: माफी मांगते हुए कहा- मैं नस्लवादी नहीं, खिलाड़ी के तौर पर जिम्मेदारी समझता हूं
17 मिनट पहले
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टी-20 वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के खिलाफ साउथ अफ्रीका के विकेटकीपर बल्लेबाज क्विंटन डिकॉक नहीं खेले थे। दरअसल, दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड ने अपने खिलाड़ियों को मैचों से पहले नस्लवाद के खिलाफ मुहिम में शामिल होने को कहा था। मगर टीम के पूर्व कप्तान डिकॉक ने निजी फैसला लेते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया था। इस बात पर वे ट्रोल हो गए और अब उन्हें माफी मांगनी पड़ी है। डिकॉक ने कहा है कि आने वाले मैचों में वे घुटने पर झुकने के लिए तैयार हैं।
डिकॉक ने कहा है, ‘मैं अपने साथियों और प्रशंसकों से सॉरी कहकर शुरुआत करना चाहूंगा। मैं कभी भी इसे मुद्दा नहीं बनाना चाहता था। मैं नस्लवाद के खिलाफ खड़े होने के महत्व को समझता हूं और मैं एक नजीर पेश करने के लिए खिलाड़ी के तौर पर अपनी जिम्मेदारी को भी समझता हूं। अगर मैं घुटने टेक कर नस्लवाद के खिलाफ दूसरों को शिक्षित करने में मदद करता हूं और इससे दूसरों के जीवन को बेहतर बनाता हूं तो मुझे ऐसा करने में बहुत खुशी होगी।’
वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच के दौरान अफ्रीकी खिलाड़ियों ने घुटना पर बैठ कर नस्लवाद के खिलाफ संदेश दिया था।
मैं किसी का अपमान नहीं करना चाहता था
डिकॉक ने आगे कहा, ‘वेस्टइंडीज के खिलाफ नहीं खेलकर मेरा मतलब किसी का अपमान करना नहीं था। मैंने जो भी किया है, उसके लिए मुझे बेहद अफसोस है। मैं अब तक इस बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर चुप था, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे खुद को थोड़ा समझाना होगा। जो नहीं जानते उनके लिए बता दूं कि मैं खुद मिश्रित नस्ल के परिवार से आता हूं। मेरी सौतेली बहनें अश्वेत हैं और मेरी सौतेली मां भी ब्लैक हैं। मेरे लिए मेरे जन्म के बाद से अश्वेत जीवन मायने रखता है। सिर्फ इसलिए नहीं कि ये एक अंतरराष्ट्रीय आंदोलन है।
लोगों के अधिकार और समानता का मुद्दा किसी भी व्यक्ति से ज्यादा महत्वपूर्ण है। मुझे यह समझ में आया कि हम सभी के पास अधिकार हैं और वे महत्वपूर्ण हैं। मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे अधिकार छीन लिए गए जब मुझे बताया गया कि हमें घुटने पर झुकना है। कल रात बोर्ड के साथ मेरी बातचीत हुई जो बहुत ही इमोशनल थी।’
अगर मैं नस्लवादी होता तो मैं आसानी से घुटने टेक कर झूठ बोल देता
डिकॉक ने कहा, ‘मुझे लगता है कि हम सभी को बोर्ड के इरादों की बेहतर समझ है। काश ऐसा जल्दी होता, क्योंकि मैच के दिन जो हुआ उसे टाला जा सकता था। मुझे पता है कि मेरे पास सेट करने के लिए एक उदाहरण है। हमें पहले बताया गया था कि हमारे पास घुटने पर झुकने का विकल्प है जो हमें लगा कि हम करना चाहते हैं। मैं अपने विचारों को अपने तक ही रखना चाहता हूं और अपने परिवार और अपने देश के लिए खेलने के गौरव के बारे में सोचता हूं।
मुझे समझ में नहीं आया कि नस्लवाद के विरोध के लिए इसे एक इशारे से क्यों साबित करना है। मैं हर दिन जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों से प्यार करना सीखता हूं। जब आपको बताया गया कि क्या करना है, बिना किसी चर्चा के मुझे लगा कि यह अर्थहीन है।
अगर मैं नस्लवादी होता तो मैं आसानी से घुटने टेक कर झूठ बोल सकता था, जो गलत है और एक बेहतर समाज का निर्माण नहीं करता है। जो मेरे साथ बड़े हुए हैं और मेरे साथ खेले हैं, वे जानते हैं कि मैं किस तरह का इंसान हूं।’
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