गोल्फर जीव मिल्खा सिंह की शिकायत खारिज: 8 साल बाद भी गाड़ी ट्रांसफर नहीं; भुगतेंगे 85 हजार के 63 ट्रैफिक चालान
चंडीगढ़2 घंटे पहले
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गोल्फर जीव मिल्खा सिंह। (फाइल)
अपने नाम वाली मर्सिडीज कार के दिल्ली में 63 चालान होने से जुड़े मामले में फ्लाइंग सिख स्व. मिल्खा सिंह के बेटे और गोल्फर जीव मिल्खा सिंह की शिकायत चंडीगढ़ कोर्ट ने रद्द कर दी है। जीव मिल्खा ने शिकायत में कहा था कि चंडीगढ़ पुलिस को आदेश दिए जाएं कि उनकी गाड़ी खरीदने वाले दिल्ली के नितिन जैन और कार बिकवाने वाले कार डीलर के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज किया जाए।
जीव मिल्खा सिंह ने CRPC की धारा 156(3) के तहत एडवोकेट तरमिंदर सिंह के जरिए यह शिकायत दायर की थी। मामले पर सुनवाई के बाद चंडीगढ़ जिला कोर्ट के चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट (CJM) डॉ.अमन इंद्र सिंह ने कहा कि शिकायत में कोई मेरिट नहीं है।
जीव मिल्खा सिंह की ओर से दायर शिकायत के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2014 में दिल्ली के नितिन जैन को अपनी मर्सिडीज कार बेची। नितिन जैन ने कार अपने नाम ट्रांसफर नहीं करवाई। इसका पता उन्हें तब चला जब उन्हें दिल्ली पुलिस की ओर से ट्रैफिक के चालान आने लगे। उन्हें दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की ओर से 85 हजार रुपए के 63 ट्रैफिक चालान भेजे गए।
इस मामले में जीव मिल्खा सिंह ने चंडीगढ़ के SSP को शिकायत दी मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद उन्होंने चंडीगढ़ अदालत में शिकायत दायर कर गाड़ी खरीदने वाले दिल्ली के नितिन जैन और कार बिकवाने वाले कार डीलर के खिलाफ विश्वासघात (धारा 406), धोखाधड़ी (धारा 420) और आपराधिक साजिश रचने (धारा 120-बी) के तहत केस दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया कि चंडीगढ़ के सेक्टर 3 थाने के SHO को इस बारे में आदेश दिए जाएं।
8 साल पहले बेची थी कार
जीव मिल्खा सिंह ने अपनी मर्सीडीज कार (CHO1 AR 0725) दिल्ली के नितिन जैन को 10 जून, 2014 को बेची। यह गाड़ी दिल्ली के ही एक डीलर के जरिए बेची गई। आरोप है कि नितिन जैन ने गाड़ी खरीदने के बाद उसे लंबे समय तक अपने नाम रजिस्टर्ड नहीं कराया। इस दौरान ट्रैफिक नियम टूटने पर चालान जीव मिल्खा सिंह के नाम आते रहे। ट्रैफिक चालान न भरने पर जीव मिल्खा को पिछले दिनों दिल्ली की रोहिणी कोर्ट से नोटिस मिला, जिसे देखकर उन्हें पूरे मामले का पता चला।
जीव मिल्खा ने मोटर व्हीकल एक्ट की पालना नहीं की
कोर्ट ने इस पॉइंट पर विचार किया कि इस मामले में IPC की धारा 420, 406 और 120-बी बनती है या नहीं? कोर्ट ने कहा कि ऐसी कोई बात शिकायत में नहीं है कि प्रतिवादी पक्ष (खरीददार या डीलर) ने गाड़ी की कीमत अदा नहीं की। शिकायत सिर्फ यह है कि खरीददार और डीलर ने गाड़ी को अपने नाम रजिस्टर्ड नहीं कराया। इसी मामले में कोर्ट में दायर जवाब में नितिन जैन ने कहा कि वह गाड़ी का अकेला खरीददार था और डीलर के नाम गाड़ी ट्रांसफर नहीं हुई थी।
कोर्ट ने कहा कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 50 के तहत जब कोई व्यक्ति अपनी गाड़ी बेचता है तो उसे उस अथॉरिटी से NOC लेनी होती है जहां गाड़ी रजिस्टर्ड होती है। यह NOC मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 48 के तहत फार्म नंबर 28 भरकर लेनी होती है। इसके बाद NOC उस जगह की अथॉरिटी को भेजनी होती है जहां गाड़ी रजिस्टर्ड होनी है।
कोर्ट ने कहा कि जीव मिल्खा ने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ये कार्रवाई पूरी नहीं की। इस मामले में IPC की धारा 420, 406 और 120-बी का अपराध नहीं बनता। शिकायत में कोई मेरिट नहीं है।
कोर्ट ने कहा है कि 23 दिसंबर, 2022 को मामला प्रारंभिक साक्ष्यों के लिए शिकायतकर्ता ने अपनी खुद की जिम्मेदारी पर पेश किया जाएगा। केस को IPC शिकायत के रूप में रजिस्टर्ड करने को कहा गया। अब चिरंजीव मिल्खा सिंह अपने स्तर पर मामले में सबूत पेश करेंगे। वहीं अगर कोर्ट को प्रतीत होता है कि मामले में केस बनता है तो पुलिस को उचित आदेश दिए जा सकते हैं।
सिविल केस लंबित
जीव मिल्खा ने एक अन्य सिविल याचिका में मांग की कि नितिन जैन को आदेश दिए जाएं कि वह कार को अपने नाम ट्रांसफर करवाए और ऑनर के रूप में उनका नाम हटाया जाए। इसमें जीव मिल्खा ने नितिन जैन, कार डीलर तेजिंद्र सिंह समेत RTO को पार्टी बनाया है। इस केस की सुनवाई 19 अक्तूबर को होगी।
43 चालान ओवरस्पीड के
जीव मिल्खा के मुताबिक, नितिन जैन के दिल्ली में ड्राइविंग करते हुए कुल 63 चालान हुए। इनमें से 43 चालान ओवस्पीडिंग और 12 चालान रेड लाइट जंप के थे। 8 चालान स्टॉप लाइन वॉयलेशन और गलत पार्किंग के थे। कार जीव मिल्खा के नाम होने के कारण चालान उनके पास आए। यहां तक कि चालान नहीं भरने पर कोर्ट ने नोटिस भी उन्हें भेजा।
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