क्या टीम इंडिया को फिर विदेशी कोच की जरूरत: कुंबले-शास्त्री के बाद द्रविड़ भी चैंपियन नहीं बना सके; विदेशियों ने दिलाईं 3 ICC-ट्रॉफी
स्पोर्ट्स डेस्क13 मिनट पहले
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![क्या टीम इंडिया को फिर विदेशी कोच की जरूरत: कुंबले-शास्त्री के बाद द्रविड़ भी चैंपियन नहीं बना सके; विदेशियों ने दिलाईं 3 ICC-ट्रॉफी क्या टीम इंडिया को फिर विदेशी कोच की जरूरत: कुंबले-शास्त्री के बाद द्रविड़ भी चैंपियन नहीं बना सके; विदेशियों ने दिलाईं 3 ICC-ट्रॉफी](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/06/11/comp-11_1686485209.gif)
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल में दर्दनाक हार के बाद टीम इंडिया एक और ICC ट्रॉफी नहीं जीत सकी। 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से टीम इंडिया के ICC ट्रॉफी जीतने का इंतजार बढ़ता ही जा रहा है। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने इन 10 सालों में तीनों फॉर्मेट की ICC ट्रॉफी जीत ली।
ऐसे में भारत के ICC टूर्नामेंट में चैंपियन नहीं बन पाने के पीछे कई सवाल खड़े होते हैं। उन्हीं में से एक सवाल ये भी है कि क्या भारतीय टीम को अब फिर से विदेशी हेड कोच अपॉइंट कर देना चाहिए। जिनके साथ भारत ने सीनियर लेवल पर 5 में से 3 ICC ट्रॉफी जीती हैं। वहीं 2013 के बाद भारत ने अनिल कुंबले, रवि शास्त्री और अब राहुल द्रविड़ को भी कोच बनाकर देख लिया, लेकिन ICC टूर्नामेंट में सफलता नहीं मिल सकी।
आगे स्टोरी में हम समझेंगे कि भारत ने कब से विदेशी हेड कोच अपॉइंट करना शुरू किया। उनके साथ टीम इंडिया ने कैसा परफॉर्म किया और ICC टूर्नामेंट्स में भारत की सिचुएशन कैसी रही। साथ ही जानेंगे कि 2013 के बाद से जिन देशों ने ICC ट्रॉफी उठाई, उनके हेड कोच किस देश के रहे।
शुरुआत टीम इंडिया के पहले हेड कोच से करते हैं…
29 सालों तक हेड कोच भारतीय ही रहा
1971 में वनडे क्रिकेट की शुरुआत से ही भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम का हेड कोच भारतीय ही रहा। केकी तारापूर भारत के पहले कोच थे। 1975 का वनडे वर्ल्ड कप हमने गुलाबराय रामचंद की कोचिंग में खेला। 1979 में कोई हेड कोच नहीं था। दोनों ही बार श्रीनिवास वेंकटराघवन टीम इंडिया के कप्तान थे।
1983 में कपिल देव की कप्तानी में भारत ने वर्ल्ड कप जीता, तब पीआर मान सिंह हेड कोच थे। दोनों ही 1987 वर्ल्ड कप में भी टीम को लीड कर रहे थे। टीम इंडिया ने 1992 और 1996 का वर्ल्ड कप अजीत वाडेकर की कोचिंग में खेला, वहीं 1999 वर्ल्ड कप में कपिल देव को हेड कोच बनाया गया। हालांकि 1971 से 1999 तक हेड कोच का पद नहीं होता था, तब टीम मैनेजर का पद हुआ करता था, जो कोचिंग का काम भी संभालते थे। हेड कोच का पद 2000 से शुरू किया गया।
2000 में ही पहली बार विदेशी कोच लाए
2000 में पहली बार न्यूजीलैंड के जोन राइट को हेड कोच बनाया, जो टीम इंडिया के पहले विदेशी कोच थे। उनकी कोचिंग में टीम 2000 चैंपियंस ट्रॉफी की रनर-अप रही और 2002 की चैंपियंस ट्रॉफी जीती, हालांकि तब हम श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता रहे थे। 2003 में टीम इंडिया ने 20 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप फाइनल खेला और रनर-अप रहे। 2004 की चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हम नहीं पहुंच सके।
राइट के बाद ऑस्ट्रेलिया के ग्रेग चैपल को कोच बनाया गया। उन्होंने टीम में बहुत बदलाव किए और टीम 2007 वनडे वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में ही बाहर हो गई। 2006 के दौरान भारत में हुई चैंपियंस ट्रॉफी भी हम जीत नहीं सके।
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विदेशी गैरी कर्स्टन ने जिताया वनडे वर्ल्ड कप
2007 टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के दौरान लालचंद राजपूत टीम के कोच रहे, लेकिन फुल टाइम कोच नहीं बन सके। चैपल के बाद साउथ अफ्रीका के गैरी कर्स्टन को कोच बनाया गया। उनकी कोचिंग में हम 2009 की चैंपियंस ट्रॉफी के साथ 2009 और 2010 का टी-20 वर्ल्ड कप नहीं जीत सके, लेकिन 2011 में 28 साल बाद वनडे वर्ल्ड कप जीत कर इतिहास रच दिया।
2011 में कर्स्टन का कोचिंग पीरियड खत्म हुआ। 2015 तक जिम्बाब्वे के डंकन फ्लेचर को हेड कोच बनाया गया। टीम 2012 टी-20 वर्ल्ड कप के ग्रुप स्टेज में बाहर हो गई, लेकिन 2013 की चैंपियंस ट्रॉफी जीत ली। टीम 2014 के टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंच कर रनर-अप भी रही, लेकिन 2015 के वनडे वर्ल्ड सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारकर ट्रॉफी नहीं जीत सकी।
रवि शास्त्री से फिर शुरू हुए भारतीय कोच
2015 वर्ल्ड कप के बाद 2016 तक रवि शास्त्री को टीम इंडिया के मैनेजर का रोल मिला। शास्त्री के साथ टीम इंडिया 2016 के टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल तक पहुंची। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान अनिल कुंबले भारत के हेड कोच थे, तब हम पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल हार गए थे।
2018 में रवि शास्त्री को हेड कोच का पद दिया गया। टीम ने ऑस्ट्रेलिया में 2 बार टेस्ट सीरीज जीती, साउथ अफ्रीका में 2 टेस्ट जीते और इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज 2-2 से ड्रॉ कराई। लेकिन टीम 2019 के वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड से हारकर ट्रॉफी नहीं जीत सकी। टीम ने 2021 में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल खेला, लेकिन हम फिर से न्यूजीलैंड के खिलाफ ही हारकर ट्रॉफी नहीं जीत सके। 2021 के ही टी-20 वर्ल्ड कप में तो टीम ग्रुप स्टेज भी पार नहीं कर सकी।
द्रविड़ की कोचिंग में दूसरा ICC टूर्नामेंट हारे
2022 में राहुल द्रविड़ को कोच बनाया गया, उन्हें रोहित शर्मा के रूप में नए कप्तान का साथ मिला। दोनों की लीडरशिप में टीम एशिया कप फाइनल में नहीं पहुंच सकी। टीम 2022 के टी-20 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भी इंग्लैंड के खिलाफ 10 विकेट से हारकर बाहर हो गई। वहीं अब जून 2023 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला भी हार गए।
इसी साल अक्टूबर-नवंबर के दौरान भारत में वनडे वर्ल्ड कप खेला जाएगा। उससे पहले 50 ओवर का एशिया कप भी होगा। भारत को एक अंडर-19 वर्ल्ड कप जिताने और 2 बार रनर-अप बनाने वाले कोच राहुल द्रविड़ अगर इनमें भी फेल रहे तो टीम इंडिया को जरूर ही अब विदेशी कोच अपॉइंट करने पर विचार करना चाहिए। क्योंकि टीम इंडिया ने 5 में से 3 ICC ट्रॉफी विदेशी हेड कोच की मौजूदगी में ही जीती है।
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एक्सपर्ट बोले- विदेशी ग्राउंड पर टेक्निक कमजोर
टीम इंडिया के पूर्व सिलेक्टर संजय जगदाले ने विदेशी कोच और भारतीय कप्तान के कॉम्बिनेशन पर कहा कि ये बिलकुल ही बेबुनियाद सा तर्क है कि कोच के होने से टीम के ट्रॉफी जीतने पर बहुत ज्यादा फर्क पड़ जाता है। भारतीय कोच के साथ भी टीम ने मैच जीते, बस ट्रॉफी जीतने से कुछ कदम ही दूर रह गए।
हालांकि जॉन राइट के रूप में भारत ने पहली बार विदेशी कोच चुना था और उन्होंने ही टीम में युवा खिलाड़ियों, यूनिटी और फिटनेस का महत्त्व बदला। उन्होंने ही कप्तान सौरव गांगुली के साथ मिलकर टीम इंडिया के खेलने का नजरिया बदला, लेकिन वही नजरिया आज के कोच भी अपनाने लगे हैं। अब टीम को ट्रॉफी जिताने की जिम्मेदारी कप्तान पर ज्यादा होती है।
टीम इंडिया WTC फाइनल और ज्यादातर ICC ट्रॉफी विदेशी मैदानों पर कमजोर बैटिंग टेक्निक के कारण हारी। टीम को अब ट्रॉफी जीतने के लिए नई टीम बनाने पर फोकस करना चाहिए। रोहित शर्मा, जो खुद टेस्ट टीम में पिछले 2-3 सालों में ठीक से जगह बना सके, उन्हें इस फॉर्मेट का कप्तान नहीं होना चाहिए। टीम मैनेजमेंट को ऋषभ पंत, अजिंक्य रहाणे या ऐसे किसी खिलाड़ी को टेस्ट फॉर्मेट का कप्तान बनाना चाहिए, जो लंबे समय तक टीम में टिक सके। ऐसा ही बाकी लिमिटेड ओवर्स फॉर्मेट को लेकर भी होना चाहिए।
ऑस्ट्रेलियन कोच ने 6 ICC ट्रॉफी जिताई
2013 के बाद से ICC ने 9 टूर्नामेंट आयोजित कराए। टीम इंडिया इनमें से एक भी नहीं जीत सकी, वहीं ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा 3 खिताब जीते। तीनों बार हेड कोच उन्हीं के देश के रहे, इसके अलावा भी 3 बार ऑस्ट्रेलियन कोच के साथ ही दूसरी टीमों ने ट्रॉफी जीती। 2019 और 2022 में इंग्लैंड ने टी-20 और वनडे वर्ल्ड कप तो वहीं 2017 में पाकिस्तान ने चैंपियंस ट्रॉफी ऑस्ट्रेलियन कोच के साथ जीती।
2016 में वेस्टइंडीज ने अपने ही देश के फिल सिमंस की कोचिंग में टी-20 वर्ल्ड कप जीता, वहीं 2021 में न्यूजीलैंड ने भी अपने ही देश के गैरी स्टेड की कोचिंग में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जीती। 2014 में श्रीलंका ने इंग्लिश हेड कोच के साथ टी-20 वर्ल्ड कप जीता था। यानी पिछले 10 सालों में विदेशी और देसी दोनों कोच ICC टूर्नामेंट में सफल रहे, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई कोच कुछ ज्यादा ही सफल रहे।
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WTC की ये खबरें भी पढ़ें…
भारत लगातार दूसरी बार WTC फाइनल हारा
![WTC जीतने के बाद सेलिब्रेशन करते ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी।](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2023/06/11/trophy_1686485751.jpg)
WTC जीतने के बाद सेलिब्रेशन करते ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी।
टीम इंडिया लगातार दूसरी बार वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मैच हार गई है। टीम को ऑस्ट्रेलिया ने 209 रनों से हराया। 444 रन का टारगेट चेज करते हुए भारतीय टीम आखिरी दिन के पहले सेशन में 234 पर ऑलआउट हो गई। दूसरी पारी में भारत का कोई बैटर 50+ का स्कोर नहीं कर सका। विराट कोहली (49 रन) टॉप स्कोरर रहे। पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
कैमरन ग्रीन के कैच पर कॉन्ट्रोवर्सी
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भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) फाइनल के चौथे दिन शुभमन गिल के कैच को लेकर कॉन्ट्रोवर्सी हुई। द ओवल मैदान पर कैमरन ग्रीन ने एक हाथ से डाइविंग कैच पकड़ा। थर्ड अंपायर ने रिप्ले में देखा, लेकिन ये साफ नहीं हुआ कि बॉल ग्राउंड को छू गई या नहीं। अंत में टीवी पर आउट का सिग्नल हुआ, रिप्ले देखने के बाद शुभमन गिल और उनके साथ खड़े कप्तान रोहित शर्मा फैसले से नाराज नजर आए। पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें…
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