कॉमनवेल्थ में अनाहत ने 6 साल बड़ी जैडा को हराया: 6 साल में 46 मेडल जीते, छोटी उम्र से देखा खिलाड़ी बनने का सपना
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नई दिल्ली8 मिनट पहले
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डाॅक्टर, इंजीनियर, पुलिस, पायलट, प्लेयर, लीडर और एक्टर… 5 से 10 साल की उम्र में आमतौर पर बच्चे हर दिन नए सपने देखते हैं, लेकिन बड़े होने पर उनके सपने बदल जाते हैं। जबकि दिल्ली की रहने वाली अनाहत सिंह ने 5 साल की उम्र से एक ही सपना देखा और उसे ही पूरा करने में जी-जान लगा दी। स्क्वॉश प्लेयर अनाहत की इसी लगन और मेहनत ने उन्हें कॉमनवेल्थ गेम्स में खेलने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी बना दिया है।
भारत की 14 साल की अनाहत ने बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में शुक्रवार को स्क्वॉश में अपना राउंड ऑफ 64 का मैच जीत लिया। यह सीनियर कैटेगरी में उनके करियर की पहली जीत रही। ओपनिंग मैच में उन्होंने अपने से 6 साल बड़ी सेंट विंसेंट की जैडा रॉस को 11-5 11-2 11-0 से हराया।
अनहत सिंह का परिवार दिल्ली के ग्रेटर कैशाल-1 में रहता है। पिता गुरुशरण सिंह पंजाब के पटियाला के रहने वाले हैं और पेशे से वकील हैं, जबकि मां तानी सिंह दिल्ली से ही हैं और पेशे से इंटीरियर डिजाइनर हैं। अनाहत से बड़ी उनकी बहन अमीरा हैं, जो स्क्वॉश खिलाड़ी हैं और फिलहाल हाॅवर्ड यूनिवर्सिटी में स्टडी कर रही हैं।
अनाहत की हौसला अफजाई करने के लिए उनके माता-पिता और बड़ी बहन अमीरा इन दिनों बर्मिंघम में ही हैं। बर्मिंघम से अनाहत की मां तानी सिंह ने वुमन भास्कर से फोन पर बातचीत में बताया, ‘हम खेल गांव में नहीं रुक सकते हैं, लेकिन हर दिन मैच देखने वहां पहुंच जाते हैं। उसका उत्साह बढ़ाते हैं। मैच के बाद 5-10 मिनट के लिए उससे मिलते हैं, क्योंकि ज्यादा वक्त उसके साथ बिताने पर उसका रुटीन डिस्टर्ब होगा, जोकि हम लोग नहीं चाहते। हर मैच से पहले वह अपने पापा और मुझसे फोन पर बात करती है।’
जीत ने बढ़ाया बेटी का आत्मविश्वास
अनाहत की मां ने बताया कि जीत के बाद से अनाहत बहुत खुश है। यह उसका पहला सीनियर टूर्नामेंट है, इसलिए उसे शुरुआत में नहीं पता था कि क्या उम्मीद करनी है, लेकिन जैसे-जैसे मैच आगे बढ़ा। उसका कॉन्फिडेंस बढ़ता गया और मैच जीत लिया। वह पूरी लगन और मेहनत से खेल रही है। हम सबको उम्मीद है कि वह बेहतर करेगी।
5 साल की उम्र से देखा खिलाड़ी बनने का सपना
मां तानी सिंह बताती हैं, दिल्ली में हमारे घर के पास ही स्टेडियम है। वहां आए दिन कोई न कोई टूर्नामेंट होता रहता था। मैं बच्चों को घर से बाहर घुमाने ले जाती थी तो साइन नेहवाल, पीवी सिंधु समेत कई भारतीय और विदेशी खिलाड़ी खेलकर निकल रहे होते। कई बार हम उन लोगों से बात भी करते थे। जब अनाहत 5 साल की रही होगी, तब से उसका बस एक ही सपना था कि उसे बड़ा होकर प्लेयर बनना है।
बैडमिंटन थी पसंद, फिर ऐसे हुआ स्क्वॉश से प्यार
मां के मुताबिक, मेरी बड़ी बेटी अमीरा स्क्वॉश प्लेयर है। अनाहत अपनी बड़ी बहन के साथ प्रैक्टिस पर साथ जाने लगी। हालांकि, उस वक्त उसे बैडमिंटन खेलना था, लेकिन 8 साल की होते-होते अनाहत को स्क्वॉश में मजा आने लगा। उसने बहुत गंभीरता से स्क्वॉश खेलना शुरू कर दिया। मुझे भी थोड़ी राहत हुई, क्योंकि बड़ी बेटी और छोटी बेटी को अलग-अलग जगह प्रैक्टिस के लिए ले जाना आसान नहीं होता था।
अनाहत ने शुरुआती तीनों गेम जीते।
मां तानी बताती हैं कि फिलहाल अनाहत 9वीं में पढ़ रही है। वह पढ़ने में ठीक है, लेकिन बहुत क्रिएटिव माइंड है। उसे नई-नई चीजें सीखने और उन्हे करने में बहुत खुशी मिलती है। स्क्वॉश खेलने से उसे खुशी मिलती है, इसलिए खेल रही है। स्वभाव से थोड़ी शरारती और मनमौजी है। टीवी पर जब किसी बड़े खिलाड़ी को खेलते हुए देखती है और उसे कोई नया शाॅट दिखा तो कोच के मना करने के बावजूद उसे ट्राई करगी। जब भी वह फ्री होती है तो वह पियानो बजाती है और पेटिंग करती है। ट्रैवल करते वक्त इंग्लिश मूवी और सीरीज देखती है। हालांकि, उसे बड़े होकर प्लेयर के साथ ही उसे आर्किटेक्ट भी बनना है। प्लेयर तो बन गई। अब देखते हैं कि आर्किटेक्ट बनेगी या नहीं।
पापा की लाडली हैं अनाहत
मां तानी के मुताबिक, यूं तो अनाहत परिवार में छोटी है, इसलिए सबकी प्यारी है, लेकिन अपने पापा की बहुत लाडली है। हंसते हुए बताती हैं कि जब कभी किसी बात के लिए लग जाए कि मां मना कर देंगी तो याचिका सीधे पापा की अदालत में लगती और वहां से फैसला बेटी के हक में ही आना होता है। बड़ी बहन अमीरा के साथ बाॅन्डिंग कैसी है? इसके जवाब में वह हंसते हुए कहती हैं, जिस दिन दोनों के बीच झगड़ा न हो, उस दिन हमें लगता है कि कुछ गड़बड़ है। तबीयत ठीक है ना दोनों की। जैसे आम भाई-बहनों में नोंकझोक होती है, वैसे ही अमीरा और अनहत में भी होती है।
अनाहत 8 साल की उम्र से स्क्वॉश खेल रही हैं।
अनाहत को पसंद है मां के हाथ का राजमा-चावल
मां तानी कहती हैं कि उसे मेरे हाथ का राजमा चावल बहुत पसंद है। इसके अलावा, उसके पसंदीदा खाने में बटर चिकन, सुशी और जैपनीज फूड पसंद है। चॉकलेट के लिए तो कभी मना कर ही नहीं सकती है, चॉकलेट की दीवानी है। अपनी भी खा लेगी, अमीरा के हिस्से में से भी ले लेगी।
6 साल के करियर में जीत चुकी हैं 46 नेशनल मेडल
अनहत ने 6 साल के करियर में 46 नेशनल सर्किट टूर्नामेंट, 2 नेशनल सर्किट खिताब, दो नेशनल चैंपियनशिप टाइटल जीते हैं। उन्होंने 8 अंतरराष्ट्रीय खिताब जीते हैं। इनमें ब्रिटिश जूनियर स्क्वॉश ओपन (2019) और यूएस जूनियर स्क्वॉश ओपन (2021) उनके मेजर टाइटल रहे हैं।
बता दें कि अनाहत को अंडर -15 स्तर पर उनके प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद भारतीय टीम में चुना गया था, जिसमें इस साल एशियाई जूनियर स्क्वॉश और जर्मन ओपन में जीत भी शामिल है।
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