ऑलराउंडर की इंस्पिरेशनल कहानी: राजवर्धन पिता की मौत के बाद डिप्रेशन में चले गए; जब उबरे तो खेत में प्रैक्टिस की, अंडर-19 में चुने गए
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3 घंटे पहलेलेखक: राजकिशोर
एशिया कप अंडर-19 में राजवर्धन हंगरगेकर ने अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से सबका ध्यान खींचा है। इंडियन टीम को फाइनल तक पहुंचाने में उनका अहम रोल है। जिस जज्बे और जुनून से वो टीम के लिए परफॉर्म कर रहे हैं, उतने ही जुनून के साथ उन्होंने मेहनत भी की है, ताकि इस टीम का हिस्सा बन सकें। हंगरगेकर ने फाइनल से पहले एशिया कप में 7 विकेट लिए हैं। जब-जब टीम को जरूरत हुई, तब लोअर डाउन में रन बनाए हैं। अब तक वो 84 रन बना चुके हैं।
हंगरगेकर का इस मुकाम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था। पिता की मौत के बाद हंगरगेकर टूट चुके थे, उन्हें लगा था कि क्रिकेट अब खत्म हो गई है। फिर लौटे और दुनिया को बता दिया कि उनमें दम है। पढ़िए, उभरते हुए ऑलराउंडर की इंस्पिरेशनल कहानी…
पिछले साल कोरोना की दूसरी लहर में हंगरगेकर ने अपने पिता को खो दिया। इसके बाद हंगरगेकर डिप्रेशन में चले गए। क्रिकेट से ब्रेक ले लिया और एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें लगने लगा था कि उनकी क्रिकेट खत्म हो गई है। उन्होंने गेम पर फोकस ही कम कर दिया। उनके फिटनेस ट्रेनर तेजस मातापुरकर ने बताया कि राजवर्धन के पिता चाहते थे कि बेटा देश के लिए खेले। क्रिकेट में भी पिता ही लेकर आए थे।
खुद रोलर खींचा, पिच तैयार की और जुट गए
मातापुरकर और दोस्तों के समझाने के बाद राजवर्धन ने फिर से ट्रेनिंग शुरू की। अब सबसे बड़ी मुसीबत था लॉकडाउन, लेकिन हंगरगेकर अब कमर कस चुके थे। महाराष्ट्र के उस्मानाबाद में रहने वाला यह ऑलराउंडर अपने गांव पहुंचा। खुद पिच बनाई, रोल किया और नए सिरे से जिंदगी शुरू कर दी। जब ट्रेनर और दोस्त ने समझाया कि अब उसे पापा के सपने को पूरा करने के लिए खेलना है। इसके बाद राजवर्धन ने पूरा ध्यान क्रिकेट की ट्रेनिंग पर लगाया।
खेत में तैयार पिच पर बॉलिंग की ट्रेनिंग मुश्किल थी, पर कोच और ट्रेनर की मदद से राजवर्धन प्रैक्टिस करते रहे। बीच-बीच में मातापुरकर और राजवर्धन के कोच मोहन जाधव भी उन्हें टिप्स देते थे।
फिटनेस ट्रेनर तेजस मातापुरकर की निगरानी में राजवर्धन हंगरगेकर एक्सरसाइज करते हुए।
140+ स्पीड और लॉन्ग हिटिंग हैं मजबूत पक्ष
कोच मोहन जाधव ने बताया, “राजवर्धन आने वाले समय में टीम इंडिया के लिए उपयोगी ऑलराउंडर होने वाला है। उनकी स्पीड और लॉन्ग हिटिंग उन्हें टीम इंडिया में ऑलराउंडर के रूप में स्थापित करेगी। वह मेरे पास पिछले दो साल से ट्रेनिंग के लिए आ रहे हैं। जब वे आए थे उनकी स्पीड 127 किमी/घंटे थी। हमने उनके एक्शन में बदलाव किया। लाइन लेंथ पर काम किया। धीरे-धीरे उनकी स्पीड भी बढ़ गई है और अब वह सटीक लाइन लेंथ पर गेंद फेंकते हैं। उनकी स्पीड 140/घंटा हो चुकी है। वहीं वह यॉर्कर, बाउंसर और स्लो बॉलिंग भी कर सकते हैं। जबकि बल्लेबाजी में भी लॉन्ग शॉट खेल सकते हैं।”
पिछले 6 महीने से बल्लेबाजी पर किया फोकस
जाधव ने बताया कि राजवर्धन पिछले 6 महीने से बॉलिंग के साथ ही बैटिंग पर भी फोकस कर रहे हैं। वह मुख्य रूप से गेंदबाज रहे हैं, लेकिन उनकी अच्छी बल्लेबाजी को देखते हुए पिछले 6 महीने से बल्लेबाजी पर भी फोकस कर रहे हैं। वह मध्यक्रम में अच्छी बल्लेबाजी कर सकते हैं।
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