एशिया कप चैंपियन बनने वाली टीम में 5 खिलाड़ी हरियाणा: कप्तान प्रीति के पिता राज मिस्त्री , बुखार होने पर भी मंजू चौरसिया खेलने उतरी
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एक घंटा पहले
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भारत ने जापान में आयोजित महिला जूनियर एशिया कप का खिताब जीतकर इतिहास रचा। भारत का यह पहला महिला जूनियर हॉकी खिताब है। टीम में कप्तान प्रीति व उपकप्तान दीपिका समेत 5 खिलाड़ी हरियाणा की हैं। टीम ने इस टूर्नामेंट में कुल 40 गोल दागे। इनमें 25 गोल हरियाणा की खिलाड़ियों की स्टिक से निकले। जींद की अन्नू 12 गोल के साथ सीरीज की टॉप स्कोरर बनीं। हिसार की दीपिका ने 10 गोल दागे। जानिए हरियाणा की इन चैम्पियन खिलाड़ियों के संघर्ष और कामयाबी की कहानी…
कप्तान प्रीति के पिता राज मिस्त्री हैं
कप्तान प्रीति के पिता राज मिस्त्री हैं। परिवार का जीवन स्तर सुधारने के लिए हॉकी खेलना शुरू किया। परिजनों से छिपकर कोच प्रीतम सिवाच से हॉकी सीखी। डिफेंडर से लेकर मिडफील्डर की भूमिका को इस बेहतर ढंग से निभाया कि सलेक्टर्स ने भारतीय टीम का कप्तान बना दिया।
अन्नू का बचपन का सपना पूरा
अन्नू बचपन से खुद को भारतीय हॉकी टीम की ड्रेस में देखती थी। दौड़ने में तेज अन्नू प्ले फॉर इंडिया के जरिए चुनी गईं। परिजन उनकी रफ्तार को देख एथलीट बनाना चाहते थे, लेकिन उनकी रुचि हॉकी में थी।
दीपिका को कुश्ती रास नहीं आई
दीपिका के पिता बेटी को पहलवान बनाना चाहते थे। इसलिए रेसलिंग के लिए लेकर गए। उसे खेल रास नहीं आया। कोच ने पूछा कि तुम्हें कौन सा खेल खेलना है। उन्हाेंने हॉकी बताया और यहीं से शुरुआत हुई।
बीमारी में भी खेलने उतरी मंजू
सोनीपत की मंजू चौरसिया ने सब जूनियर नेशनल में आंध्रप्रदेश की टीम के खिलाफ तीन गोल दागकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा था। हालांकि, उस दिन उन्हें बुखार था, फिर भी वे खेलने उतरी थीं।
नीलम महिला विरोधी सोच तोड़कर आगे बढ़ीं
फाइनल में निर्णायक गोल करने वाली नीलम महिला विरोधी मानसिकता तोड़कर आगे बढ़ीं। जब वे अभ्यास के लिए अपने गांव से हिसार जाती थीं तो प्रोत्साहन से कहीं ज्यादा फब्तियां कसी जाती थीं, लेकिन किसान पिता ओमप्रकाश ने उस पर ध्यान देने के बजाए बेटियों को प्रोत्साहित किया। उनके आने-जाने का इंतजाम किया और हर हालात में साथ दिया।
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