एक हार से 174 लोगों की मौत: 10 पॉइंट्स में समझिए क्यों हुई इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच के दौरान भगदड़ , रहा है हिंसा का इतिहास
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इंडोनेशिया27 मिनट पहले
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इंडोनेशिया में एक फुटबॉल मैच के दौरान भगदड़ मचने से 174 लोगों की मौत हो गई। इस भीषण हादसे में 2 पुलिसवालों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी। मैच के दौरान एक टीम के हारने के बाद उसके फैंस मैदान में घुस गए। इस भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया। घटनास्थल के कई वीडियो भी सामने आए हैं। इनमें फैंस को सुरक्षाकर्मियों पर सामान फेंकते देखा जा सकता है। इसी को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।
आइए 10 पॉइंट्स में समझते हैं कि यह हिंसा क्यों और कैसे हुई…
पर्सेबाया सुरबाया के फैंस को स्टेडियम में एंट्री नहीं दी गई थी।
1. सारे फैंस एक ही टीम के थे
स्थानीय समय के अनुसार, शनिवार रात 8 बजे अरेमा फुटबॉल क्लब और पर्सेबाया सुरबाया के बीच फुटबॉल मैच की शुरुआत हुई। यह मैच इंडोनेशिया के ईस्ट जावा क्षेत्र के कंजुरुहान स्टेडियम में खेला जा रहा था। पुलिस का कहना है कि मैच के दौरान करीब 42 हजार दर्शक स्टेडियम में मौजूद थे। ये सभी दर्शक अरेमा फुटबॉल क्लब के फैंस थे। आयोजकों ने पर्सेबाया सुरबाया के फैंस के आने पर रोक लगाई थी, क्योंकि वे किसी भी तरह के उपद्रव से बचना चाहते थे।
इंडोनेशिया में फुटबॉल एक पॉपुलर स्पोर्ट है। ऐसे में फैंस के बीच झड़प की घटना आम है। इसलिए आयोजकों ने ये निर्णय लिया था।
2. हार को हजम नहीं कर पाए फैंस
रात करीब 10 बजे के आसपास मैच खत्म हुआ। अरेमा फुटबॉल क्लब पर्सेबाया सुरबाया से 3-2 से हार गया। अरेमा फुटबॉल क्लब और पर्सेबाया सुरबाया सालों से कट्टर प्रतिद्वंदी रहे हैं। दो दशक में ये पहली बार था जब अरेमा फुटबॉल क्लब पर्सेबाया सुरबाया से हारा है। ऐसे में पर्सेबाया की जीत से अरेमा के फैंस निराश थे।
पर्सेबाया सुरबाया ने करीब 2 दशक बाद इंडोनेशिया से कोई फुटबॉल मैच जीता था।
3. कैसे मची भगदड़?
जैसे ही रेफरी ने जीत के लिए फाइनल व्हिसल बजाई अरेमा के फैंस मैदान पर आ गए। फैंस ने बोतल और दूसरे सामान प्लेयर्स और फुटबॉल अधिकारियों पर फेंकना शुरू कर दिया। मामले को संभालने के लिए पुलिस को बीच में आना पड़ा। ईस्ट जावा पुलिस चीफ निको एफिंटा ने कहा, ‘हालत काबू से बाहर हो गए थे। फैंस ने अधिकारियों पर हमला करना शुरू कर दिया। उन्होंने कारों को भी नुकसान पहुंचाया।’
अरेमा फुटबॉल क्लब के फैंस अपने क्लब की हार से गुस्से में थे। गुस्से में उन्होंने पुलिस पर भी सामान फेंका।
4. पुलिस ने क्या किया?
हिंसा भड़कने पर स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके बाद फैंस पैनिक कर गए और एग्जिट गेट की तरफ भागने लगे। इससे भगदड़ मच गई और लोगों को घुटन होने लगी।
FIFA ने फुटबॉल स्टेडियमों में आंसूगैस के इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है। जो लोग बेहोश हो गए उन्हें दूसरे फैंस उठाकर बाहर आने की कोशिश करने लगे। पुलिस चीफ ने बताया कि भगदड़ के दौरान गेट नंबर 10 पर ये हादसा हुआ। जिसके बाद स्टेडियम के बाहर पुलिस और फैंस में भिड़ंत हो गई। पुलिस की पांच कारों में आग लगा दी गई और नुकसान पहुंचाया गया।
पुलिस ने स्थिति से निपटने के लिए आंसू गैस का उपयोग किया।
5. कितनी मौतें, कितने घायल?
एग्जिट गेट की तरफ भागते समय भगदड़ मचने पर दम घुटने से 34 लोगों की मौत मौके पर हो गई। बाकी लोगों को हॉस्पिटल पहुंचाया गया। कुछ ने रास्ते में और कुछ ने हॉस्पिटल पहुंच कर दम तोड़ दिया। सुबह 9:30 बजे तक मरने वालों की संख्या 158 थी जो सुबह 10:30 तक 174 हो गई। पुलिस का कहना है कि इस संख्या में इजाफा हो सकता है क्योंकि अब भी कई लोग हॉस्पिटल में क्रिटिकल कंडीशन में हैं।
इस भगदड़ में दम घुटने से मौके पर ही 34 लोगों की मौत हो गई थी।
6. राष्ट्रपति ने दिए मामले की जांच के आदेश
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने घटना के प्रति खेद जताया और मामले पर गहन जांच के आदेश भी दिए हैं। विडोडो ने कहा, ‘उम्मीद करता हूं कि ये ट्रेजेडी इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच की आखिरी ट्रेजेडी होगी।’ इस मामले पर FIFA अध्यक्ष जियानी इन्फेंटिनो ने कहा, ‘फुटबॉल से जुड़े हर व्यक्ति के लिए ये एक काला दिन है और यह घटना समझ से परे है।’
इस घटना में अब तक 174 लोगों की मौत हो चुकी है।
7. घटना के बाद की कार्रवाई
रविवार सुबह राष्ट्रपति विडोडो ने मैच के दौरान सिक्योरिटी पर इन्वेस्टीगेशन खत्म होने तक फुटबॉल एसोसिएशन को बीआरआई लीग 1 के सभी मैच सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं। बीआरआई लीग 1 इंडोनेशिया की टॉप फुटबॉल लीग में से एक है।
राष्ट्रपति विडोडो की घोषणा से पहले फुटबॉल एसोसिएशन ऑफ इंडोनेशिया (PSSI) ने पीड़ितों के परिवार से माफी मांगी और लीग के सभी मैच 1 हफ्ते तक सस्पेंड करने की घोषणा की थी। साथ ही अरेमा फुटबॉल क्लब को बचे हुए सीजन के लिए घरेलू मैचों की मेजबानी करने पर भी बैन लगा दिया है।
संभवतः ये फुटबॉल के इतिहास की सबसे दर्दनाक घटना है।
8. क्या हैं FIFA के आंसूगैस से जुड़े नियम?
वर्ल्ड फुटबॉल गवर्निंग बॉडी FIFA ने अपने सेफ्टी रेगुलेशन्स में साफ तौर पर लिखा है कि पुलिस स्टेडियम में किसी भी आग से जुड़े आर्म्स या आंसूगैस का इस्तेमाल नहीं कर सकती ना ही स्टेडियम में अपने साथ रख सकती है।
कहा जा रहा है कि स्टेडियम में कैपेसिटी से ज्यादा दर्शक मौजूद थे।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इंडोनेशिया के ह्यूमन राइट्स कमीशन के कमिश्नर ने कमीशन द्वारा ग्राउंड पर सिक्योरिटी और आंसूगैस के इस्तेमाल की जांच करने की बात कही है। इंडोनेशिया के चीफ सिक्योरिटी मिनिस्टर महफूद एमडी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि स्टेडियम कैपेसिटी से ज्यादा भरा हुआ था। स्टेडियम में केवल 38 हजार दर्शकों की व्यवस्था है जबकि वहां 42 हजार दर्शक मौजूद थे।
9. इंडोनेशिया में फैंस हिंसा की यह घटना पहली नहीं है
इंडोनेशिया में इससे पहले भी फैंस के बीच झड़प और हिंसा की कई घटनाएं हो चुकी है। 90 के दशक से फुटबॉल से जुड़ी हिंसा में दर्जनों फैंस मारे गए हैं। ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1994 से 2019 के बीच फुटबॉल से जुड़ी हिंसा में 74 फैंस की जान जा चुकी है।
पुलिस के आंसूगैस के गोले छोड़ने पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
हालांकि, शनिवार को कंजुरुहान स्टेडियम में हुई घटना में मौतों और घायलों के आंकड़ों को देखते हुए इसे फुटबॉल के इतिहास में अब तक की सबसे भीषण घटना माना जा रहा है। इसके पहले साल 1989 में ब्रिटेन के हिल्सबोरो स्टेडियम के स्टैंड्स में भी भगदड़ के चलते 97 लिवरपूल फैंस की मौत हो गई थी वहीं साल 2012 में इजिप्ट के पोर्ट सेड स्टेडियम में ट्रेजेडी में 74 लोगों ने जान गंवाई थी।
पुलिस का कहना है कि कई लोग क्रिटिकल कंडीशन में हैं और मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।
साल 1964 में पेरू-अर्जेंटीना के ओलिंपिक क्वालीफायर मैच के दौरान भगदड़ मचने से 320 लोग मारे गए थे और हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह मैच लिमा के नेशनल स्टेडियम में खेला गया था।
1964 में लिमा नेशनल स्टेडियम में भगदड़ का दृश्य।
10. क्यों होती है इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच के दौरान हिंसा?
इंडोनेशिया में फुटबॉल बहुत लोकप्रिय है। खासतौर पर घरेलू फुटबॉल लीग को लेकर यहां काफी क्रेज है। फैंस अपने क्लब्स को लेकर इमोशनल हैं। कई बार ये कट्टरता हिंसा का रूप ले लेती है। आमतौर पर फैंस के बीच ये झड़प स्टेडियम के बाहर होती हैं।
ऐसी घटनाओं में सबसे मशहूर घटना है पर्सिजा जकार्ता और परसिब बांदुंग के बीच। दोनों क्लबों के सपोर्टर्स कई मैचों के दौरान आमने-सामने आ चुके हैं। जिसकी वजह से कई मौतें भी हुई हैं। साल 2018 में परसिब बांदुंग के फैंस ने पर्सिजा जकार्ता के एक फैन के साथ उसकी मौत होने तक मारपीट की थी।
यही नहीं, इंटरनेशनल लेवल पर भी इंडोनेशियन फैंस की साख कुछ खास अच्छी नहीं है। धुर प्रतिद्वंदी मलेशिया और इंडोनेशिया के फैंस के बीच 2019 में FIFA वर्ल्ड कप के क्वालीफाइंग मैच के दौरान झड़प हो गई थी। उसी साल सितम्बर में जकार्ता में क्वालीफायर के दौरान मलेशियन फैंस पर पथराव किया गया और उन्हें धमकाया गया। वहां मलेशिया के खेल मंत्री भी मौजूद थे। हिंसा के चलते उन्हें तुरंत स्टेडियम से सुरक्षित बाहर निकाला गया। इस घटना के 2 महीने बाद फैंस ने क्वालालंपुर में हो रहे एक मैच के दौरान एक-दूसरे पर बोतलें फेंकी थी।
इससे पहले भी इंडोनेशिया में फुटबॉल मैच के दौरान हिंसा की घटनाएं हो चुकी हैं।
साल 2019 में ही साउथईस्ट एशियन गेम्स के U-22 मैच में विएतनाम से हारने पर इंडोनेशियन फैंस ने सोशल मीडिया पर विएतनाम के खिलाड़ियों की बेइज्जती की, उन्हें प्रताड़ित किया और उन्हें और उनके परिवार को मारने तक की धमकी दे डाली।
इसी साल जून में 2022 में प्रेसिडेंट कप देखने के लिए दो परसिब बांदुंग फैंस स्टेडियम में घुसने की कोशिश कर रहे थे। धक्का-मुक्की के दौरान उनकी मौत हो गई। ये दोनों फैंस पहले से ही भरे हुए स्टेडियम में घुसने की कोशिश कर रहे थे। ऑफिसर्स ने स्टेडियम हाउसफुल होने के चलते उन्हें रोक दिया था।
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